औसत बच्चों पर भी ध्यान देना है बेहद जरूरी
माता पिता को समझना होगा कि देश, जिले या राज्य में बहुत कम बच्चे ऐसे होते हैं जो टॉपर्स होते हैं जो टॉपर्स होते हैं, अच्छे नंबर्स लाते हैं. ज्यादातर बच्चे एवरेज होते हैं. यानी कि वे बीच वाले कैटेगिरी में रहते हैं. न अधिक नंबर न ही बहुत कम नंबर. कई लोग ऐसे होते हैं जो समय के साथ बेहतर करते जाते हैं. ऐसे बच्चे पढ़ाई तो खूब करते हैं लेकिन उतनी चमक नहीं बिखेर पाते हैं. माता-पिता और शिक्षक अनजाने में उन्हें “ठीक ठाक” वाली कैटेगरी में डाल देते हैं. लेकिन यही सोच उनके अंदर धीरे-धीरे हीनभावना को जन्म देता है और धीरे धीरे आत्मविश्वास गिर जाता है.
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कौन कौन सी 3 चीजें औसत बच्चों के लिए बेहद जरूरी होती है
तारीफ सिर्फ नंबरों पर नहीं, मेहनत पर भी करें सराहना
औसत बच्चे अक्सर सुनते हैं. “अरे देखो फलां के 95% आए हैं, तुम सिर्फ 75% पर खुश हो?” लेकिन क्या किसी ने देखा कि वो बच्चा पिछली बार 60 पर था, अब 75 लाया है? सराहना सिर्फ उसके नंबर्स की नहीं, बल्कि उसके मेहनत की भी करनी चाहिए. अगर बच्चे बीते बार से कम मार्क्स भी लाया हो तो उनसे बोले- कोई बात नहीं. और मेहनत करो तुम अच्छे मार्क्स लाओगे. उनसे कहें कि आप उनपर बहुत भरोसा करते हैं कि तुम आगे बहुत अच्छा करोगा. ध्यान रखें इस दुनिया में कोई बच्चा कमजोर नहीं होता है, सबमें कुछ न कुछ प्रतिभा होती है.
जब बच्चा परफॉर्म नहीं भी कर पा रहा तब भी बोले, तुम- कर सकते हो
औसत बच्चों को अक्सर लगता है कि वह “किसी काम के नहीं” हैं. क्योंकि विभिन्न कारणों से चाह कर भी परफॉर्म नहीं कर पाता है. भले उनसे कोई कुछ न बोले, लेकिन रिजल्ट के बाद का माहौल उन्हें कमजोर फील कराता है. ऐसे समय में अगर माता-पिता का कह दें कि “तू कर सकता है, हमें तुझ पर गर्व है”. ये बातें उनके लिए संजीवनी बन सकता है.
औसत बच्चों को भी समय और बातचीत दोनों चाहिए होता है
अक्सर देखने को मिलता है लोग औसत बच्चों पर कम समय देते हैं. टॉपर्स बच्चों के लिए उनके भविष्य को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो जाती है. औसत बच्चे अपनी बातों को दिल में दबा लेते हैं. लेकिन आपको समझना होगा कि उनके लिए भी चर्चाएं होनी चाहिए. उनसे पूछें कि उन्हें क्या चाहिए. उनके साथ हर हफ्ते बैठिए, और पूछिए- उन्हें क्या समझ में नही आ रहा है. या फिर उन्हें किस बात का डर है? वह क्या नया करना और सीखना चाहता है? याद रखें “हर बच्चा हीरे होता है- फर्क सिर्फ इतना है कि किसी की चमक पहले दिखती है, किसी की बाद में. फर्क न करें, उन्हें भी साथ लेकर चलें.”
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