जिम्मेदारी का पाठ
बचपन में हम सभी ने अपने पापा को पूरे घर का बोझ उठटेहुए देखा है. घर में किसी चीज का बिल भरना हो, मरम्मत करना या फिर घर के लिए कोई जरूरी सामान लाना हो सारे काम वो खुद करते हैं. वे ये सब चीज हमें बोलते नहीं है लेकिन समझते जरूर हैं की आगे जीवन में किस तरह स एजिमादारी को उठाना है. बच्चों ने घर एन ये भी देखा है कि कैसे पापा बच्चों की नींद को पूरा करने के लिए खुद की नींद को आधा छोड़ देते हैं. इस तरह से जिम्मेदारी निभात हुए अपने पिता को देखने के बाद बच्चें भी खुद को जिम्मेदार समझते हैं.
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हार नहीं मानना
क्या काभी अपने पिता को किसी चीज में फेल होते हुए देखा है, बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी हो. जैसे की कभी किसी गाड़ी का खराब हो जाना, प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं होना. ऐसे समय में हमें उन्हें अक्सर मेहनत करके हार नहीं मानते हुए देखा है. अपने पिता को हमने हमेशा खुलकर अपनी असफलताओं पर चर्चा करते हुए देखा है. इससे बच्चों को ये सिखन को मिलता है कि कैसे जीवन में किसी भी परिस्थति में हार नहीं माननी चाहिए.
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दूर की सोचते हैं पापा
हम सभी कभी भी दूर की नहीं सोचते हैं. हम आज में जीते हैं और आज में ही रहना चाहते है लेकिन हमें अपने पिता को हमेशा देखा है कि वो दूर तक सोचते हैं. उनको हमेशा आज के साथ साथ आने वाले कल की भी चिंता करते हैं कि कैसे उनके बच्चें सुरक्षित रह सकते हैं. पापा हमेशा सीखते हैं कि कैसे कम कमाई में भी बचत कर सकते हैं. इससे जीवन में कैसे कम पैसों में अच्छे से जीवन को जी सकते हैं ये बातें पता चलती हैं.