Parenting Tips: बच्चे की पढ़ाई और मनोदशा समझनी है? PTM में इन बातों पर जरूर करें चर्चा

Parenting Tips: पेरेंट्स टीचर मीटिंग (PTM) बच्चों की पढ़ाई और व्यवहार को समझने का बेहतरीन जरिया है. इसके जरिए माता-पिता जान सकते हैं कि बच्चा किन विषयों में अच्छा है और कहां सुधार की जरूरत है. अक्सर पेरेंट्स को सवाल पूछने में झिझक होती है.

By Shashank Baranwal | April 9, 2025 10:11 AM
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Parenting Tips: बच्चों के शारीरिक के विकास जितना ही अहम किरदार माता-पिता का मानसिक विकास और पढ़ाई-लिखाई में भी होता है, क्योंकि बच्चे सिर्फ 8 घंटे स्कूल में होते हैं बाकी समय घर पर ही बीतता है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से संबंधित स्कूलों में पेरेंट्स टीचर मीटिंग (PTM) होता है, जो कि यह समझने में आसानी पैदा करता है कि बच्चा पढ़ने में कैसा है. इस मीटिंग के जरिए बच्चों के व्यवहार और परफॉर्मेंस को समझने में आसानी होती है. हालांकि, कई बार देखने को मिलता है कि PTM को लेकर पेरेंट्स में कन्फ्यूजन रहती है कि मीटिंग में कैसे सवाल करें. ऐसे में परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. इस आर्टिकल में कुछ टिप्स बताए गए हैं, जिनको अपनाकर आप अपने बच्चे के परफॉर्मेंस को समझकर और बेहतर कर सकते हैं.

बच्चों के PTM में पूछे ये सवाल

पढ़ाई में परफॉर्मेंस- बच्चे की स्टडी परफॉर्मेंस से यह समझ आता है कि कौन-से विषय उसकी ताकत हैं और किन विषयों में उसे और मेहनत की जरूरत है.

बच्चे का इंटरेस्ट- पढ़ाई के अलावा किन गतिविधियों में बच्चा अच्छा कर रहा है – जैसे खेल, म्यूज़िक या आर्ट – यह जानकर आप उसे मोटिवेट कर सकते हैं.

मानसिक और भावनात्मक स्थिति- कभी-कभी बच्चे स्कूल में दबाव में आ सकते हैं, इसलिए टीचर से उनकी इमोशनल हेल्थ के बारे में पूछना फायदेमंद होता है.

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दोस्तों के बारे में- बच्चा किन लोगों के साथ समय बिताता है, यह उनकी सोच और व्यक्तित्व को प्रभावित करता है, इसलिए यह जानकारी जरूरी है.

क्लास में एक्टिव- क्या वह सवाल पूछता है, उत्तर देता है या चर्चा में हिस्सा लेता है? इससे उनके आत्मविश्वास और रुचि का अंदाजा लगाया जा सकता है.

PTM से मिलने वाले फायदे (Benefits of PTM)

  • बच्चे के मानसिक और भावनात्मक विकास के बारे में जानकारी हासिल होती है.
  • इससे माता-पिता को बच्चे की ताकत और कमजोरियों को समझने में मदद मिलती है.
  • टीचर्स और पैरेंट्स के बीच संवाद बेहतर होता है, जिससे बच्चे को सही मार्गदर्शन मिल पाता है.
  • बच्चे की कक्षा में दिलचस्पी, भागीदारी और व्यवहार को करीब से जानने का अवसर मिलता है.

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