दूसरों से कैसा व्यवहार करें?
अगर आप अपने बच्चे को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि वह दूसरों से अच्छे से बर्ताव करे तो उसे इस बात की सीख देनी बेहद ही जरूरी हो जाती है. अपने बच्चे को यह बात बताएं कि वह दोस्तों से वैसा ही बर्ताव करे जैसा वह चाहता है कि दूसरे उसके साथ करे. जब आप ऐसा करते हैं तो आपके बच्चे दूसरों से गलत तरीके से बात करने या फिर बर्ताव करने से पहले सोचते हैं. यह छोटी सी बात उन्हें इमोशनल बनाती है. जब आपका बच्चा इन बातों को सीख जाता है तो वह दूसरों को नीचा नहीं दिखाता है, स्वार्थी नहीं बनता है और साथ ही उसके अंदर दयालुता भी जागती है.
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अगर गंदगी फैली है तो उसे समेटे
अपने बच्चों को इस बात की सीख आपको बचपन से ही देनी शुरु कर देनी चाहिए कि अगर उसने चीजें घर में फैलाई है तो उन चीजों को जितनी जल्दी हो सके समेत लें. कई बार आपके बच्चे खिलौनों को, खाने पीने की चीजों को घर पर ही यहां-वहां बिखेरकर छोड़ देते हैं. उन्हें बताएं कि ऐसा करना कितना गलत है और चीजों को समेटकर रखना कितना जरूरी. यह सिर्फ साफ-सफाई की बात नहीं है बल्कि चीजों की जिम्मेदारी लेने की भी बात है.
दूसरों की चीजें न छूएं और न ही लें
दूसरों की चीजों के बारे में जब आप बच्चों को बताते हैं तो उन्हें अपनी बाउंड्री समझ में आने लगती है. अपने बच्चों को बताएं कि दूसरों की चीजों को उनसे बिना पूछे न लें और न ही छूएं. जब आप ऐसा करते हैं तो आपके बच्चे दूसरों की चीजों और उनके प्राइवेसी के बारे में सीख जाते हैं. जब आप उन्हें यह सिखाते हैं तो आपके बच्चे जीवन में आगे चलकर सभी रिश्तों को अच्छे से निभा पाते है.
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जितनी बड़ी जिम्मेदारी उतनी आजादी
अपने बच्चों को बताएं कि आजादी का असली मतलब तब समझ में आता है जब आपने उसे हासिल किया हो. बच्चों को यह उस समय समझ में आता है जब वे जिम्मेदारियां उठाना शुरू कर देते हैं. ये जिम्मेदारियां किसी भी तरह की हो सकती है. चाहे वह घर के कामों को पूरा करने की हो, वादों को पूरा करने की हो या फिर टाइम मैनेजमेंट की हो. जब आपके बच्चे इन चीजों को पूरा करते हैं तो लोगों का उनके प्रति भरोसा बढ़ जाता है.
गुस्से में कही गयी गलत बातें सही नहीं
अपने बच्चे को यह बात जरूर सिखाएं कि मूड किसी का भी खराब हो सकता है और गुस्सा किसी को भी आ सकता है. इसका यह कतई मतलब नहीं है कि वे दूसरों से गलत तरीके से बात या फिर व्यवहार कर सकते हैं. जब आप अपने बच्चे को यह बात सिखाते हैं तो वह अपनी भावनाओं पर बेहतर तरीके से काबू पाना और साथ ही अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त करना सीख जाता है.
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