अपनी भावना को व्यक्त करना
अक्सर देखा जाता है कि जब बेटी टीनएज में पहुंचती है तो वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से कतराने लगती है. कभी-कभी पेरेंट्स के साथ किसी बात को लेकर हुए मतभेद के कारण भी ऐसी स्थिति देखने को मिलती है. पेरेंट्स को अपनी बड़ी हो रही बेटी को यह सीख देनी चाहिए कि वह खुलकर उनके सामने अपनी बातों को कर सकती है.
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आत्मविश्वास
अगर आपकी बेटी भी किशोरावस्था में पहुंचने वाली है तो आप उसे कॉन्फिडेंट बनने की सलाह दें. अगर वह किसी प्रकार का भी काम करती है तो सफल होने पर उसकी तारीफ करें. अगर वह फेल हो जाए तो उसका मनोबल बढ़ाने की कोशिश करें. इस वक्त में बच्चे बहुत ही सेंसिटिव हो सकते हैं. इस उम्र में शरीर में कई बदलाव होते हैं. आप इसके बारे में उन्हें सही जानकारी दें.
सही फैसला लेना और करियर से जुड़ी बातें
अपनी बेटी को सही और गलत का अंतर जरूर समझाएं. अपनी बिटिया को बातों को सोच समझकर सही फैसला लेने की सीख दें. अपने बच्चे पर पढ़ाई और करियर का प्रेशर ना दें. उनसे इस बारे में बात करें और उनके नजरिया को भी समझने की कोशिश करें.
सेहत
बढ़ते हुए बच्चों की सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए. इस उम्र में बच्चों की मेंटल हैल्थ का भी खयाल रखें और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दें.
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