शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो रही है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगो कि कलश स्थापना का आयोजन क्यों होता है खास. नवरात्रि के शुरुआती दिनों में एक महत्वपूर्ण परंपरा होती है जिसे हम नवरात्रि कलश स्थापना का नाम देते हैं.
जो देवी दुर्गा की पूजा का प्रारंभिक दिन माना जाता है. इसे ‘कलश स्थापना’ भी कहा जाता है और यह आराधना आठ दिनों तक चलती है, जिसमें भक्तजन मां दुर्गा का स्वागत करते है. यह परंपरा सामाजिक एकता और धार्मिकता को प्रकट करती है, जो लोगों के जीवन में संतुलन और आनंद लाने का काम करती है.
इस अवसर पर लोग विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और देवी दुर्गा का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं.
नवरात्रि के पहले दिन को ‘घटस्थापना’ कहा जाता है, जिससे नवरात्रि का कार्यक्रम शुरू होता है. इस दिन एक कलश (घट) को विशेष रूप से सजाकर विभिन्न पूजा स्थलों में स्थापित किया जाता है. यह कलश देवी दुर्गा के आगमन का प्रतीक होता है.
इस रीति के अनुसार, एक ब्राह्मण के माध्यम से कलश को स्थानीय महत्वपूर्ण पंचांग के अनुसार लागू विधियों से सजाकर विशेष मंत्रों के साथ धारण किया जाता है. कलश में जल भरकर उसे संगीनी के साथ सजाकर पूजा स्थल में स्थापित किया जाता है.
नवरात्रि का महत्व हिन्दू संस्कृति में अत्यधिक है, और इसे आदिशक्ति मां दुर्गा के आगमन का उत्सव मनाया जाता है. यह आठ दिनों तक चलने वाला उत्सव हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, वेस्ट बंगाल, और देश के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. इस उत्सव की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण रीति है नवरात्रि कलश अस्थापना, जो धार्मिक और सामाजिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
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