पीएम मोदी को नामीबिया में मिला वेल्विट्शिया सम्मान, जो हजारों साल जीने वाला है अनोखा रेगिस्तानी पौधा

PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नमीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एन्शिएंट वेल्विचिया मिराबिलिस" से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान एक ऐसे पौधे के नाम पर है जो 1500–2000 साल तक जीवित रह सकता है और जिसे संघर्ष, दीर्घायु और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है. आइए जानें इस अद्भुत पौधे वेल्विचिया मिराबिलिस की अनोखी विशेषताएं और यह क्यों बना इस सम्मान का प्रतीक.

By Sameer Oraon | July 9, 2025 11:03 PM
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PM Modi: प्रधानमंत्री मोदी को विदेशी धरती पर एक और बड़ा सम्मान मिला है. उन्हें नमीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर (Namibia highest honour) ऑफ द मोस्ट एन्शिएंट वेल्वित्शिया मिराबिलिस से नवाजा गया है. लेकिन बहुतों को यह नहीं पता है कि वेल्वित्शिया मिराबिलिस कैसे पड़ा है. दरअसल यह नमीबिया में पाया जाने वाला दुर्लभ पौधा है. इसे संघर्ष, दीर्घायु और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है. यह भावना इस सम्मान में भी झलकती है. आईये जानते हैं क्या है वेल्विचिया मिराबिलिस की खासियत.

सिर्फ दो पत्तियां होती हैं इस पौधे में

वेल्विचिया मिराबिलिस की खास बात ये है कि इसमें सिर्फ दो पत्तियां होती हैं, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक बढ़ती रहती हैं. समय के साथ ये पत्तियां फटकर कई हिस्सों में बंट जाती हैं, जिससे लगता है कि इसकी कई पत्तियां हैं, लेकिन असल में सिर्फ दो ही होती हैं.

हज़ारों साल तक जीवित रहने वाला पौधा

तमाम मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह पौधा 1500–2000 साल तक जीवित रह सकती है, यानी यह पृथ्वी के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले पौधों में से एक है. यह हमेशा शुष्क और गर्म रेगिस्तानों में पनपता है. इसकी जड़ें गहराई तक जाती हैं और पत्तियां हवा में मौजूद नमी को अवशोषित कर पानी प्राप्त करती हैं.

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अलग वनस्पति कुल में रखा गया है वेल्विचिया मिराबिलिस को

वेल्विचिया मिराबिलिस पौधा कार्बन डाइऑक्साइड को स्टोर करके इसका उपयोग दिन में करने के लिए मदद करता है. यह उसे पानी की बचत करने में सहायता करता है. इसे अनूठा इसलिए माना गया है क्योंकि इसे अलग वनस्पति कुल (Welwitschiaceae) में रखा गया है. इसका कोई सीधा रिश्तेदार नहीं है. हालांकि कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है कि कभी लोग इस पौधे के बीज को उबालकर औषधि के रूप में खाते थे. लेकिन कोई भी वैज्ञानिक अध्ययन में इसे प्रमाणित नहीं किया गया है इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं. न ही आधुनिक चिकित्सा में इसका मान्य है.

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