शहद से भगवान का नाम लिखने की परंपरा
प्रेमानंद महाराज ने यह भी बताया कि पहले के समय में जब बच्चे को बोलने में मुश्किल होती थी तो माता-पिता उसकी जुबान पर शहद से भगवान का नाम लिखते थे. इस प्रक्रिया से बच्चा उस नाम को पूरी तरह से अपने अंदर ग्रहण कर लेता था. यह एक सरल और प्रभावशाली तरीका था जिसे आज भी अपनाया जा सकता है.
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धार्मिक संस्कार बच्चे के लिए आवश्यक
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि माता-पिता को बच्चों को शुरू से ही भक्ति और धर्म से जोड़ना चाहिए. जैसा संस्कार बच्चे को माता-पिता से मिलता है बच्चा वैसा ही बनता है. उन्होंने सलाह दी है कि बच्चे का नाम भगवान के नाम पर रखना शुभ होता है. इससे बच्चे को भगवान का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहता है.
भगवान के नाम से घर का नाम रखें
प्रेमानंद महाराज ने माता-पिता को एक और अच्छी सलाह दी है उनका कहना है कि बच्चे के घर का नाम भी भगवान के नाम पर रखा जाए. इससे न केवल घर में शांति और समृद्धि आएगी बल्कि परिवार के सभी सदस्य भगवान का स्मरण करते रहेंगे और उनका आशीर्वाद बना रहेगा. अगर बच्चों को शुरु से ही सही दिशा दिखाई जाएं तो वह आने वाले समय में बहुत आगे बढ़ते हैं.
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