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महिला ने पूछा प्रेमानंद जी से सांसारिक सवाल
अक्सर कई जगह देखने को मिल जाता है कि माता-पिता अपनी बेटी के घर का पानी नहीं पीते हैं. वो बेटी के घर जाते हैं, लेकिन बिना कुछ खाए वापस लौट आते हैं. इसी तरह से जुड़ा एक सवाल प्रेमानंद जी महाराज से एक महिला ने पूछा कि क्या बेटी के घर का पानी पीने से इंसान पाप का भागी बन जाता है. इस सवाल को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि उसकी माता की तबीयत खराब रहती है, वह चाहती है कि अपनी मां की सेवा करूं लेकिन मां बाप की डर से घर नहीं आना चाहती हैं. ऐसे में अब क्या करना चाहिए.
प्रेमानंद जी महाराज ने दिया ये बेहतरीन सुझाव
प्रेमानंद जी महाराज ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शास्त्रों में बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं किया गया है. लेकिन सनातन धर्म की पूज्य भावना और स्त्रियों का पूज्य रूप होने के कारण लोग बेटी के घर में पानी पीना पाप मानते हैं. हालांकि, लोगों को ऐसे विचार रखना सही नहीं होता है, क्योंकि माता-पिता पर जितना अधिकार बेटे का होता है, उतना ही अधिकार एक बेटी का भी होता है. अगर माता-पिता की तबीयत खराब होता है, तो यह बेटी का दायित्व होता है कि वह उनकी सेवा करें. मां-बाप बेटी की घर पूरा जीवन बिता भी लें, तो कोई परेशानी नहीं होती है.
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