Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ने अपनी आयु के बारे में कही बड़ी बात, बताया कितनी होगी उम्र?
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज लंबे समय से अपनी किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. ऐसे में हाल में ही उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें प्रेमानंद महाराज जी अपने से बताया है की उनकी आयु कितने वर्ष तक होगी.
By Priya Gupta | March 3, 2025 2:55 PM
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज के आज लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त हैं. उनके सत्संग हर घर में सुने जाते हैं साथ ही उनसे मिलने के लिए लोग देर तक इंतजार करते रहते हैं. फिल्म इंडस्ट्री से लेकर नेता और क्रिकेटर प्रेमानंद महाराज से मिलने आते रहते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अक्सर श्रद्धालुओं और भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं.ऐसे में, उनके स्वास्थ्य को लेकर उनके भक्त हमेशा परेशान रहते हैं. वास्तव में, प्रेमानंद महाराज लंबे समय से अपनी किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. ऐसे में हाल में ही उनका एक वीडियो सामने आया है जिसमें प्रेमानंद महाराज जी अपने से बताया है की उनकी आयु कितने वर्ष तक होगी और वह अपने भक्तों के साथ कितना समय बिताएंगे. तो आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज जी कितने वर्ष तक भक्तों के साथ रहेंगे.
प्रेमानंद महाराज भक्तों के साथ कितना समय बिताएंगे ?
महाराज ने हाल ही में बताया कि 20 वर्षों से वह अपनी किडनी की समस्या से गुजर रहे है. उन्होंने यह भी कहा कि जब उन्हें पता चला की उनकी किडनी खराब है तब उन्हें लगा की उनका जीवन अब कुछ वर्षों तक ही हैं और उसी दौरान उनकी मुलाकात एक महान संत से हुई थी. महाराज जी ने यह भी बताया है की उनकी मुलाकात फिर दोबारा उस संत से नहीं हुई. महाराज ने बताया जब वह उस शांत से मिले थी तब वह श्री जी यानी राधा रानी के ध्यान में थे. जब उनसे वहां आए संत ने उनसे पूछा की तुम इतना निराश क्यों हो? तो महराज जी ने बोल की हमारी दोनों किडनी खराब है से मैं कभी भी चल सकता. तभी उन महान संत उनसे कहा कि “ नहीं 80 वर्ष”. फिर प्रेमानंद महाराज जी ने अपने भक्त से कहा की इस बात की अब तक 20 वर्ष हो चुके है और इस समय हमारी आयु 55, 56 वर्ष की हो चुकी हैं.
प्रेमानंद महाराज का जन्म कहां हुआ?
प्रेमानंद महाराज का जन्म आखिरी गांव, कानपुर में हुआ था. महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. महाराज बहुत कम उम्र से ही भगवान की भक्ति में लग गए थे. वृंदावन में रहने से पहले वह काशी में रहते थी. उन्होंने अपने सत्संग में कई बार जिक्र किया है कि वह अपने पहले के जीवन में भगवान शिव के भक्त हुआ करते थे. उनकी भक्ति से ही वह वृंदावन और उनका श्री जी राधा रानी के साथ भक्ति का मौका मिला.