माता-पिता को पैसे देने से मना करती है पत्नी? महाराज जी ने बताया यह समाधान
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज जी से मिलकर एक भक्त ने प्रश्न किया कि उनकी पत्नी, उनके माता-पिता को धन देने से मना करती है, जिस कारण वो बहुत परेशान रहता है, इस लेख में जानिए कि महाराज जी ने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया.
By Tanvi | October 19, 2024 2:50 PM
Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज ऐसे महाराज हैं जिनसे जो भी व्यक्ति मिलता है वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता है क्योंकि, महाराज जी का आध्यात्मिक ज्ञान और उनके जीवन का अनुभव इतना ज्यादा है कि वह किसी भी व्यक्ति का विचलित मन अपनी बातों से शांत कर देते हैं और भक्त भी महाराज जी के पास अपने विभिन्न प्रश्नों के साथ पहुंचते हैं. ये प्रश्न कभी बहुत जटिल होते हैं, तो कभी आसान होते हुए भी ऐसे होते हैं, जिसका उत्तर दे पाना सभी के लिए संभव नहीं होता है. महाराज जी अपने सत्संग के दौरान भी लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. प्रेमानंद महाराज जी से मिलकर एक भक्त ने प्रश्न किया कि उनकी पत्नी, उनके माता-पिता को धन देने से मना करती है, जिस कारण वो बहुत परेशान रहता है, इस लेख में जानिए कि महाराज जी ने इस प्रश्न का क्या उत्तर दिया.
भक्त की थी यह समस्या
महाराज जी का सत्संग खत्म होने के बाद एक भक्त ने महाराज जी से प्रश्न किया कि जब भी वह अपने माता-पिता की आर्थिक रूप से सहायता करना चाहता है, उसकी पत्नी उसे ऐसा करने से रोकती है और उसकी यह बात नहीं मानने पर, उनकी पत्नी उससे नाराज भी हो जाती है. उसे व्यक्ति का अपने माता-पिता को धन देना पसंद नहीं है, इस बात की जानकारी माता-पिता को हो गई है, जिस कारण अब उन्होंने अपने बेटे से पैसे लेना भी बंद कर दिया है और उनके पास कोई दूसरा पैसे का साधन भी नहीं है, ये बातें उसे बहुत परेशान कर रही है.
महाराज जी ने बताया यह उपाय
भक्त की परेशानी को सुनकर महाराज जी ने कहा कि वो बहुत खुश हैं कि व्यक्ति के मन में अपने माता-पिता के लिए दया का भाव है और यह उसे अपनी पत्नी को भी गंभीरता से समझना चाहिए, उसे अपनी पत्नी को यह भी बताना चाहिए कि एक बच्चे का रोम-रोम उसके माता-पिता को समर्पित होता है, ऐसे में जो बच्चे अपने माता-पिता का ख्याल नहीं रखते हैं, उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है.
भक्त के सवाल का उत्तर देते हुए महाराज जी ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति के भाई-बहन उसके माता-पिता का ख्याल रख भी रहे हैं, फिर भी एक बच्चे का यह परम कर्तव्य बनता है कि वह अपनी आय का एक हिस्सा अपने माता-पिता को समर्पित करे.