क्यों खास है सावन में श्रृंगार?
भगवान शिव और माता पार्वती का यह पावन महीना नारी सौंदर्य और आस्था को एक सूत्र में पिरोता है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने में किए गए श्रृंगार से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं. श्रृंगार सिर्फ सौंदर्य नहीं, बल्कि श्रद्धा और प्रेम की अभिव्यक्ति है.
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हरे वस्त्र पहनना शुभ
सावन की पहचान ही हरियाली है. इस समय पर हर पेड़ और पौधे को नया जीवन मिलता है. इसी तरह हरे वस्त्र पहनना शुभ और मांगलिक माना गया है. यह रंग शिव-पार्वती को अर्पित श्रद्धा का प्रतीक भी है. शास्त्र कहते हैं, सावन में हरे वस्त्र धारण करने से दांपत्य जीवन में संतुलन और शांति आती है.
हरी चूड़ियां: शुभता का संगीत
सुहाग का सबसे मधुर प्रतीक होती हैं हरी चूड़ियां. इनकी खनक में छिपा होता है प्रेम, आस्था और अखंड सौभाग्य का संदेश. मान्यता है कि सावन में हरी चूड़ियां पहनने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और पति-पत्नी के रिश्ते में मिठास बनी रहती है.
मेहंदी का जादू: प्रेम और परंपरा का संगम
मेहंदी की महक न सिर्फ हाथों को सजाती है, बल्कि रिश्तों को भी महकाती है. कहा जाता है कि शिव-पार्वती को मेहंदी बेहद प्रिय है. सावन में हाथों पर रचाई गई मेहंदी, नारी के प्रेम, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है.
माथे की बिंदी: सौंदर्य और शक्ति का मेल
बिंदी सिर्फ श्रृंगार नहीं, बल्कि नारी की शक्ति और आभा का प्रतीक है. विशेषकर सावन में हरे रंग की बिंदी लगाने से शिव कृपा प्राप्त होती है और सुहाग की रक्षा होती है. यह श्रृंगार मां पार्वती की कृपा को आकर्षित करता है.
पैरों में आलता: सुहागिन का अंतिम स्पर्श
पैरों में आलता सजाना एक पवित्र परंपरा है. यह श्रृंगार नारी के संपूर्ण सौंदर्य को पूरा करता है. सावन में जब कोई सुहागन आलता लगाकर शिव-पार्वती की पूजा करती है, तो माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
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