Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि है नारी शक्ति का प्रतीक, ऐसे करें घर की स्त्रियों का सम्मान, अपनाएं ये तरीका
Shardiya Navratri 2024: इस नवरात्रि महिलाओं का सम्मान करने और अपने व्यवहार में बदलाव लाने का संकल्प लें, ताकि हर महिला मां, बेटी या कोई भी हो, सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे.
By Bimla Kumari | October 3, 2024 3:57 PM
Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है जो 11 अक्टूबर 2024 तक मनाया जा रहा है. इस दौरान नवरात्रि के बाद देवी मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिसमें छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है. उन्हें भोजन कराया जाता है और फिर उपहार और दान दिया जाता है. नवरात्रि का पर्व महिलाओं के सम्मान का प्रतीक है. ऐसा माना जाता है कि जिस घर में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस पर्व पर न केवल देवी की मूर्ति की पूजा की जाती है, बल्कि हर महिला को मां, बहन और बेटी का सम्मान करने का संदेश दिया जाता है.
इसलिए केवल कन्याओं की पूजा ही न करें, बल्कि हर महिला का सम्मान करें. अगर आप देवी की पूजा करते हैं, तो न केवल नवरात्रि में बल्कि हमेशा महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर बनाए रखें. इस नवरात्रि महिलाओं का सम्मान करने और अपने व्यवहार में बदलाव लाने का संकल्प लें, ताकि हर महिला मां, बेटी या कोई भी हो, सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे.
महिलाओं का सम्मान करने के लिए आपको कुछ खास करने की जरूरत नहीं है. इसकी शुरुआत अपने घर से करें. जिस तरह मां दुर्गा अपने भक्तों की रक्षा करती हैं, उसी तरह आपकी मां भी आपका ख्याल रखती हैं और आपके भले के लिए काम करती हैं. लेकिन हम अक्सर अपनी व्यस्त जिंदगी में मां को नजरअंदाज कर देते हैं. इस नवरात्रि संकल्प लें कि आप अपनी मां के साथ समय बिताएंगे. उनकी सेहत और जरूरतों का ख्याल रखेंगे. हर दिन मां के साथ बैठकर बातें करेंगे.
बहन को आजादी दें
बहनें और बेटियां घर की खुशियां होती हैं. देवी की पूजा करने वाले हर भक्त को अपनी बहन-बेटी की मुस्कान का ख्याल रखना चाहिए. बहन-बेटियों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन उन्हें बंधनों में न बांधें. अक्सर लड़कियां परिवार के पुरुष सदस्यों की मर्जी के मुताबिक जिंदगी जीती हैं. इस नवरात्रि संकल्प लें कि आप अपनी बहन-बेटियों को आजादी देंगे और उन्हें आत्मनिर्भर बनाएंगे.
नवरात्रि सिर्फ कन्या पूजन तक सीमित नहीं है। मां, बहन और बेटी का सम्मान करने वाले कई लोग अपनी पत्नियों का सम्मान नहीं करते. पत्नी को गृहलक्ष्मी और अन्नपूर्णा कहा जाता है, इसलिए पत्नी और बहू का भी सम्मान करें. उन्हें यह एहसास दिलाएं कि ससुराल ही उनका अपना घर है, जहां उनका पूरा हक है.
बेटी की शिक्षा
अक्सर बेटों को परिवार का भविष्य माना जाता है और बेटियों के सपनों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन बेटी घर की लक्ष्मी और अन्नपूर्णा भी होती है. अपनी बेटी को आत्मनिर्भर बनाएं और उसकी शिक्षा पर ध्यान दें. अगर आपकी बेटी का कोई सपना है, तो उसका साथ दें और उसे पूरा करने में उसकी मदद करें.