Skandmata Devi ki Aarti : ऐसे पाएं मां स्कंदमाता का आर्शीवाद, जानें विधि, आरती और कथा

Shardiya Navratri : शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन देवी दुर्गा के पांचवें स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है. मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं. मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.

By Meenakshi Rai | October 18, 2023 1:05 PM
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Shardiya Navratri : स्‍कंदमाता, मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं. शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है. इस दिन ​स्‍कंदमाता की आराधना की जाती है. मान्यता है कि स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि स्कंदमाता कार्तिक स्वामी की माता है. नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए.

स्कंदमाता का स्वरूप : स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है.

मां स्कंदमाता की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है. स्कंदमाता कमल के पुष्प पर अभय मुद्रा में होती हैं. मां रूप बहुत सुंदर है. उनके मुख पर तेज है. इनका वर्ण गौर है. इसलिए इन्हें देवी गौरी भी कहा जाता है. भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. स्कंदमाता प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं की सेनापति थीं. इस वजह से पुराणों में स्कंदमाता को कुमार और शक्ति नाम से महिमा का वर्णन है.

संतान सुख और निरोगी होने की कामना

मां स्कंदमाता की साधना से न सिर्फ संतान सुख बल्कि रोग मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में संतान सुख की इच्छा के साथ जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहता हैं उन्हें नवरात्रि की पांचवी तिथि को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिन्दी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए.

मां स्कंदमाता का मंत्र

मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है. इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है:

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है.

  • सबसे पहले इस दिन स्‍नान करें और साफ कपड़े पहनें.

  • पूजा की जगह पर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करायें.

  • एक कलश में पानी लेकर उस कलश में कुछ सिक्‍के डालें और चौकी पर रख दें.

  • स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.

  • अब स्कंदमाता की श्रद्धा भाव के साथ आरती उतारें.

  • स्कंद माता को केले का भोग जरूर लगाएं.

  • माता को श्रृंगार का सामान चढ़ायें.

  • स्‍कंदमाता को इन चीजों का लगाएं भोग : पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है.

जय तेरी हो स्‍कंदमाता
पांचवा नाम तुम्हारा आता
सब के मन की जानन हारी
जग जननी सब की महतारी
तेरी ज्योत जलाता रहू में
हरदम तुम्हे ध्याता रहू मै
कई नामो से तुझे पुकारा
मुझे एक है तेरा सहारा
कही पहाड़ो पर है डेरा
कई शेहरो मै तेरा बसेरा
हर मंदिर मै तेरे नजारे
गुण गाये तेरे भगत प्यारे
भगति अपनी मुझे दिला दो
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो
इन्दर आदी देवता मिल सारे
करे पुकार तुम्हारे द्वारे
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये
तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई
‘चमन’ की आस पुजाने आई

जय तेरी हो स्‍कंदमाता

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो, उनकी इच्छा माता पूरी करती हैं. आदिशक्ति का यह स्वरूप संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण करनेवाला माना गया है. स्कंदमाता की पूजा में कुमार कार्तिकेय का होना जरूरी माना गया है. मां की कृपा से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.पारिवारिक शांति की बनी रहती है.

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