ये हैं भारत के 10 कथा वाचक जिन्होंने आध्यात्मिकता से दी समाज को नई दिशा, इन्हें सुनते हैं करोड़ों लोग

Top 10 Kathavachak: भारत में कई प्रसिद्ध कथावाचक हैं जो धार्मिक कथाओं और प्रवचनों के जरिए लोगों को प्रेरित करते हैं. इनकी कथाओं में भगवान की लीलाओं के साथ-साथ जल संरक्षण, गौ सेवा, पर्यावरण चेतना, नारी सशक्तिकरण, युवाओं के मार्गदर्शन और राष्ट्रधर्म जैसे विषयों को भी स्थान मिलता है. कुछ प्रमुख कथावाचकों में मुरारी बापू, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, अनिरुद्धाचार्य जी महाराज, जया किशोरी शामिल हैं.

By Pritish Sahay | July 31, 2025 4:29 PM
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Top 10 Kathavachak: क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे कौन-कौन से कथा वाचक हैं जो आज अपने विचारों, वाणी और समाजसेवा के कार्यों के माध्यम से न केवल धर्म का प्रचार कर रहे हैं, बल्कि उसे एक सामाजिक आंदोलन और प्रेरणा का माध्यम भी बना चुके हैं? इनकी कथाओं में भगवान की लीलाओं के साथ-साथ जल संरक्षण, गौ सेवा, पर्यावरण चेतना, नारी सशक्तिकरण, युवाओं के मार्गदर्शन और राष्ट्रधर्म जैसे विषयों को भी स्थान मिलता है. डिजिटल युग में इनके प्रवचन न केवल देश में, बल्कि विदेशों तक वायरल होते हैं और करोड़ों लोग इन्हें सुनते हैं.

मुरारी बापू- रामकथा को विश्व के कोने-कोने तक पहुंचाने वाले मुरारी बापू जी ने अपने प्रेम, करुणा और शांति के संदेश से लाखों दिलों को छुआ है.

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम)- चमत्कार और श्रद्धा के प्रतीक बन चुके हैं, जो धर्म और राष्ट्र धर्म को साथ लेकर चल रहे हैं.

अनिरुद्धाचार्य जी महाराज- जिनकी कथाओं में संगीत, ऊर्जा और आधुनिक उदाहरणों का अद्भुत समावेश होता है, विशेषकर युवाओं के बीच बड़े लोकप्रिय हैं.

पंडित प्रदीप मिश्रा – जिन्होंने “हर हर महादेव” और ‘जल अभिषेक’ को एक जन-आंदोलन में बदला, शिव भक्ति के साथ-साथ समाज में पर्यावरण चेतना का भी संदेश देते हैं.

मृदुलकृष्ण गोस्वामी (वृंदावन)- भागवत कथा को भावपूर्ण संगीत और नाट्य रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे भक्तिरस की गंगा बहती है. इनकी कथा शैली के लिए यह विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं.

जया किशोरी(राजस्थान)- जिन्होंने भक्ति और मोटिवेशन दोनों को जोड़कर नई पीढ़ी के लिए धर्म को एक नई भाषा दी है, आज सोशल मीडिया पर लाखों युवाओं की प्रेरणा बन चुकी हैं.

देवी कृष्णप्रिया(मथुरा) – श्रीमद्भागवत और शिवमहापुराण जैसे गूढ़ और गम्भीर ग्रंथों की व्याख्या वे जिस सरलता, गरिमा और भावप्रवणता के साथ करती हैं, वह उन्हें समकालीन महिला वाचिकाओं में एक विशिष्ट स्थान दिलाती है. उनकी “चैन बिहारी आश्रय फाउंडेशन” द्वारा अब तक 200 से अधिक घायल एवं असहाय गौमाताओं की सेवा की जा चुकी है.

देवकीनंदन ठाकुर महाराज – “प्रेम से बोलो राधे राधे” जैसे भावपूर्ण उद्घोष से करोड़ों लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ा और गौ रक्षा व राष्ट्र धर्म जैसे विषयों को कथाओं के माध्यम से जनचेतना का हिस्सा बनाया.

देवी चित्रलेखा (हरियाणा) – जिन्होंने कम उम्र में ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कथाओं के माध्यम से गौ सेवा और नारी सशक्तिकरण जैसे अभियानों को अपनी आवाज दी, आज एक सशक्त आध्यात्मिक कथा वाचक के रूप में जानी जाती हैं.

इंद्रेश उपाध्याय (वृंदावन) – एक युवा संत के रूप में तेजी से उभरते हुए, सोशल मीडिया के माध्यम से वेदांत और भागवत के ज्ञान को युवाओं तक पहुंचा रहे हैं. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि धर्म केवल परंपरा नहीं, बल्कि प्रेरणा और नवचेतना का स्रोत भी है.

इन सभी संतों ने धर्म को जीवन से जोड़ा, उसे जीवंत बनाया और सेवा, प्रेम व राष्ट्र के हित में एक प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत किया. यही कारण है कि ये आज भारत के सबसे प्रभावशाली और शीर्ष 10 कथा वाचकों में गिने जाते हैं.

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