Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो गयी है. इस यात्रा के शुरू होने से पहले ही लाखों यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया था. जानकारी के अनुसार, चार धाम यात्रा के लिए अब तक 20 लाख से अधिक यात्री रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. इस यात्रा में हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदू धर्म के चार पवित्र स्थल यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ शामिल हैं. आप अगर इस यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो पहला कदम है यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन और इसके बाद यात्रा की एक मुकम्मल प्लानिंग जरूरी है.
यात्रा के लिए कर सकते हैं ऑनलाइन या ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन
उत्तारखंड की इस चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है और इसके लिए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन पंजीकरण की भी व्यवस्था की है. यात्रा के लिए आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करने का भी विकल्प है. यात्रा के शुरुआती प्वांइट हरिद्वार में ऑफलाइन पंजीकरण केंद्र हैं. हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए 20 काउंटर बनाये गये हैं. विकलांग और विदेशी नागरिकों के लिए अलग से कांउटर बनाये गये हैं. वहीं ऑनलाइन पंजीकरण 20 मार्च से ही शुरू है. इसके लिए आपको वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर लॉगइन करना होगा. रजिस्ट्रेशन करते समय सही मोबाइल नंबर दर्ज करें, ताकि आपको यात्रा से संबंधित सूचना मिल सके. चारों धाम में से दो- गंगोत्री एवं बदरीनाथ धाम तक सड़क है, वहीं यमुनोत्री एवं केदारनाथ के लिए आपको कुछ दूर पैदल ट्रैकिंग या घोड़े या पालकी के माध्यम से जाना होगा या फिर आप हेलीकॉप्टर की बुकिंग करवा सकते हैं. लेकिन हेलीकॉप्टर बुक करते समय किसी भी तरह की धोखाधड़ी से सावधान रहें. हेलीकॉप्टर बुक करने के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट https://heliyatra.irctc.co.in/ पर जा सकते हैं.
हरिद्वार तक रेल मार्ग, आगे जाना होगा सड़क मार्ग से
उत्तराखंड के गढ़ावाल क्षेत्र में स्थित चारों धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ की यात्रा सुगमता के साथ पूरे करने के लिए कम से कम नौ से दस दिन लगते हैं. आमतौर पर हरिद्वार तक ट्रेन या देहरादून तक हवाईमार्ग से पहुंच कर आगे की यात्रा सड़क मार्ग से पूरी करनी होती है. आप चाहें, तो दिल्ली से भी वाया रोड यात्रा के लिए आगे बढ़ सकते हैं. इस यात्रा मार्ग के महत्वपूर्ण पड़ाव में उत्तराखंड सरकार के गढ़वाल मंडल विकास निगम के होटल आपको हर जगह मिलेंगे, आप इनकी पहले से ऑनलाइन बुकिंग https://gmvnonline.com/ कर सकते हैं.
कुछ इस तरह कर सकते हैं यात्रा की प्लानिंग
पहला दिन : आप जॉली ग्रांट एयरपोर्ट में उतरे हों या हरिद्वार रेलवे स्टेशन में या देहरादून रेलवे स्टेशन में, हरिद्वार पहुंच कर होटल में चेकइन करें और फ्रेश हो जायें. जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से हरिद्वार 39 किलोमीटर की दूरी पर है. अगर आप थके नहीं हैं और आपके पास समय है्, तो हरकी पौड़ी घूमने जाएं और शाम की गंगा आरती देखें. वापस आकर डिनर करें और अच्छे से आराम करें, क्योंकि अगली सुबह आपकी पहाड़ी रास्तों की यात्रा शुरू हो जायेगी.
दूसरा दिन : हरिद्वार से बरकोट की यात्रा 175 किलोमीटर की है और पहुंचने में 7 घंटे लगते हैं. सुबह जल्दी नाश्ते के बाद हरिद्वार के होटल से चेकआउट कर यमुनोत्री के बेस कैंप बरकोट की यात्रा पर निकलें, जो कि देहरादून, मसूरी, केमटी फॉल यमुना ब्रिज से आगे बढ़ती है. बरकोट में रात स्टे कर सकते हैं.
तीसरा दिन : बरकोट से जानकीचट्टी 43 किलोमीटर है, जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम तक 7 किलोमीटर पैदल ट्रेकिंग या घोड़े से जाना होता है. इस दिन सुबह जल्दी जागें और फ्रेश होकर यात्रा के लिए जल्दी तैयार हो जायें. नाश्ते के बाद यमुनोत्री के लिए यात्रा शुरू करें और दर्शन के बाद रात वापस आकर बरकोट में ठहरने का विकल्प बेहतर माना जाता है.
चौथा दिन : बरकोट से उत्तरकाशी 82 किलोमीटर है और पहुंचने में 4 घंटे लगते हैं. सुबह जल्दी जागकर नाश्ता कर होटल से चेकआउट कर आगे की यात्रा के लिए आगे बढ़ जायें. उत्तरकाशी पहुंच कर अपने बुक किये गये होटल या गेस्ट हाउस में ठहर कर आराम करें.
पांचवा दिन : उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम 100 कलोमीटर है. सुबह समय पर जाग कर नाश्ता कर गंगोत्री धाम की यात्रा पर निकलें और दर्शन करके उसी दिन उत्तरकाशी वापस आ जायें.
छठवां दिन : उत्तरकाशी से गुप्तकाशी की यात्रा होगी, जो कि 194 किलोमीटर है और 8 घंटे की ड्राइविंग होगी. होटल से चेकआउट करें गुप्तकाशी पहुंच कर रात वहीं ठहरें.
सातवां दिन : आपने अगर हेलीकॉप्टर बुक किया है, तो आपको हेलीपैड पहुंचना होगा. केदारनाथ जाने के लिए पैदल मार्ग की शुरुआत गौरीकुंड से होती है. गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है, कुछ लोग इसे 14 किलोमीटर ही बताते हैं और इस ट्रेक को पैदल पूरा करने में कम से कम आठ घंटे लगते हैं. केदारनाथ पहुंच कर आपको रात यहीं रुकना होगा. यहां सीमित संख्या में होटल व धर्मशाला हैं, इसलिए पहले से बुकिंग करके जायें.
आठवां दिन : आप अगर पैदल मार्ग से गये हैं, तो दर्शन करके आप सुबह जल्दी ही वापसी के लिए चलना शुरू कर दें. अगर हेलीकॉप्टर से गये हैं, तो तय समय पर अपने हेलीपैड पर पहुंच जायें.
नौवां दिन : गुप्तकाशी से बदरीनाथ की दूरी 197 किलोमीटर है. सुबह जल्दी तैयार होकर नाश्ता करें और बदरीनाथ की यात्रा शुरू करें, रास्ते में चोपता, गोपेश्वर, चमोली आयेगा. बदरीनाथ पहुंच कर मंदिर में दर्शन करें और रात का खाना खाकर आराम करें.
दसवां दिन : बदरीनाथ से हरिद्वार की ओर वापसी कर सकते हैं और चाहें, तो माणा विलेज, व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती नदी, भीम पुल घूमते हुए रुद्रप्रयाग पहुंच कर आराम करें और अगले दिन हरिद्वार के लिए आगे बढ़ें.
यह भी पढ़ें : सिंधु जल संधि निरस्त होने से जगमग होगा कश्मीर, भारत को मिलेगा बड़ा फायदा
Raksha Bandhan Special: राखी पर बहनों के साथ बनानी हैं यादें, तो रांची के इन जगहों पर जाना न भूलें
बच्चे के साथ कर रहे हैं पहली बार यात्रा, तो नोट कर लें ये बातें
Travel Tips: ट्रैवल करते समय जरूर ध्यान रखें ये बातें, सफर बनेगा याद और सुहाना
National Mountain Climbing Day: क्यों मनाया जाता है माउंटेन क्लाइंबिंग डे, जानें भारत में कहां-कहां इसे करना है बेस्ट