MP Tourism: कभी तंत्र विद्या का केंद्र हुआ करता था मध्यप्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर

मध्यप्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर धार्मिक एवं ऐतिहासिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है जहां आपको 9वी सदी की वास्तुशिल्प की झलक देखने को मिलती है.

By Pratishtha Pawar | July 12, 2024 3:36 PM
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MP Tourism: मध्य प्रदेश के मुरैना में बसा मितावली का चौसठ योगिनी मंदिर(Mitawali Chaushth Yogini Temple) प्राचीन भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और स्थापत्य विरासत का एक प्रमाण है. भारत में कुल चार चौसठ योगिनी मंदिर है जिसमें से दो मंदिर उड़ीशा में और दो मंदिर मध्यप्रदेश में है.

यह रहस्यमय मंदिर, अपनी अनूठी बनावट और किंवदंतियों के साथ, अतीत की एक अद्वितीय झलक प्रदान करता है, जो यात्रियों और इतिहास के प्रति उत्साही लोगों को इसके रहस्यों का पता लगाने के लिए आमंत्रित करता है.

चौसठ योगिनी मंदिर का इतिहास

चौसठ योगिनी मंदिर(Chaushth Yogini Temple), जिसे मितावाली के मंदिर(Mitawali Temple) के रूप में भी जाना जाता है, किले के अंदर मौजूद शिलालेखों को पढ़कर ये अनुमान लगाया जाता है कि इस किले को महाराज देवपाल ने बनवाया था. वही यह भी कहां जाता है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी के अंत में कच्छपघाट राजवंश के शासनकाल के दौरान हुआ था.

प्राचीन समय में मितावली, पंडावली और बटेश्वर त्रिमूर्ति की तरह काम किया करते थे जो विश्व विद्यालय की तरह काम करती थी. यहां सूर्य की किरणों के माध्यम से गणित ज्योतिष विद्या और हिन्दू धर्म की शिक्षा दी जाती थी. साथ ही यहां पर तंत्र विद्या का भी अभ्यास किया जाता था. यह समय इस क्षेत्र में कला और वास्तुकला के लिए एक समृद्ध युग का प्रतीक था, जिसमें कच्छपघाट जटिल मंदिर डिजाइन और मूर्तियों के संरक्षण के लिए जाने जाते थे.

क्या है चौसठ योगिनी का रहस्य

इस गोलाकर मंदिर का घेरा 170 फीट है इस गोल बरांमदे में 64 कमरें बने हुए है जहां पर प्राचीन समय में 64 योगिनियों की मूर्तियां रखी होती थी. मंदिर का नाम, ‘चौसठ योगिनी’, जिसका अर्थ ‘चौसठ योगिनियां’ से  है, जो इसके गोलाकार गर्भगृह में पूजी जाने वाली 64 देवियों को संदर्भित करता है. धार्मिक दृष्टि से ये योगिनियां मां दुर्गा की सहायिका के रूप में जानी जाती है. यह भी माना जाता है की देवी दुर्गा के आशीर्वाद स्वरूप इन योगिनियों को स्त्रीत्व एवं मातृत्व की चमत्कारिक शक्ति प्राप्त होती है और वे योग की प्राचीन पद्धति से भी जुड़ी होती है जिन्हें 64 कलाओं में निपुण माना जाता है.    

मंदिर के गर्भ गृह में स्थित है 1000 साल पुराना शिवलिंग

मंदिर के बीच के मंडप के गर्भ गृह में प्राचीन शिवलिंग भी स्थित है. लगभग 200 सीढ़ियां चढ़नें के बाद इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. मंदिर की बाहरी दीवार पर हिन्दू देवी देवताओं की मूर्ति भी उकेरी गई है जिन्हें शक्तिशाली और रहस्यमयी आकृतियों के रूप में दर्शाया गया है.

प्रचलित लोककथायें

चौसठ योगिनी मंदिर मिथकों और किंवदंतियों से भरा हुआ है जो इसके आकर्षण को और बढ़ाते हैं. एक लोकप्रिय किंवदंती योगिनियों को दिव्य रूप में वर्णित करती है जो ज्ञान और गूढ़ ज्ञान प्रदान करने के लिए पृथ्वी पर उतरी थीं. ऐसा कहा जाता है कि मंदिर एक ऐसा स्थान था जहां वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का उपयोग करते हुए पवित्र अनुष्ठान और ध्यान करती थीं.

स्थानीय बलुआ पत्थर से बनी गोलाकार संरचना में जटिल नक्काशीदार खंभे और मूर्तियां  हैं जो विभिन्न रूपों और मुद्राओं में 64 योगिनियों को दर्शाती हैं. मंदिर का खुला-हवा वाला डिजाइन, इसके केंद्रीय प्रांगण के साथ, एक विशिष्ट विशेषता है जो इसे अपने युग के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है.

चौसठ योगिनी मंदिर मध्य प्रदेश के भिंड जिले में मितावली गांव के पास स्थित है. निकटतम प्रमुख शहर ग्वालियर है, जो लगभग 40 किलोमीटर दूर है. यात्री हवाई, रेल या सड़क मार्ग से ग्वालियर पहुंच सकते हैं और वहां से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या मितावली के लिए स्थानीय बस ले सकते हैं।

इस क्षेत्र में आने वाले यात्री बटेश्वर मंदिर और पदावली किले जैसे अन्य ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं, जो पास में स्थित हैं और इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में और जानकारी देते हैं.

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