अज्ञानता नहीं ये 3 दोष हैं असली विनाश के कारण, विदुर की चेतावनी

Vidur Niti: विदुर की वाणी में जो नैतिक साहस था, वही आज भी विदुर नीति के रूप में अमूल्य धरोहर बना हुआ है. यह नीति हमें सिखाती है कि अंधकार कितना भी घना क्यों न हो विवेक और धर्म के दीपक से रास्ता हमेशा निकाला जा सकता है. आज की उलझन भरी दुनिया में विदुर की बातों में वह स्थिरता है, जो आत्मा को सही दिशा दिखा सकती है.

By Shashank Baranwal | April 16, 2025 9:21 AM
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Vidur Niti: महाभारत में विदुर का चरित्र इस सच्चाई का प्रतीक है कि किसी की महानता उसके जन्म से नहीं, बल्कि उसके विचारों और कर्मों से तय होती है. राजघराने से बाहर जन्म लेने के बावजूद उन्होंने अपने ज्ञान और नीति के बल पर हस्तिनापुर के सबसे बुद्धिमान और विश्वसनीय सलाहकार का पद हासिल किया था. विदुर केवल एक मंत्री नहीं थे, बल्कि धर्म के सजग प्रहरी थे, जिन्होंने सच्चाई को कभी भी सत्ता या संबंधों के नीचे दबने नहीं दिया. उनकी वाणी में जो नैतिक साहस था, वही आज भी विदुर नीति के रूप में अमूल्य धरोहर बना हुआ है. यह नीति हमें सिखाती है कि अंधकार कितना भी घना क्यों न हो विवेक और धर्म के दीपक से रास्ता हमेशा निकाला जा सकता है. आज की उलझन भरी दुनिया में विदुर की बातों में वह स्थिरता है, जो आत्मा को सही दिशा दिखा सकती है. विदुर नीति में मनुष्य के गुणों और अवगुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है. इस आर्टिकल में तीन ऐसे दोषों के बारे में बात करने वाले हैं, जो कि व्यक्ति के जीवन को नष्ट करके ही छोड़ता है.

  • महात्मा विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति दूसरों की मेहनत से कमाया हुआ धन छल, चोरी या बलपूर्वक छीनकर प्राप्त करता है, उसका विनाश निश्चित होता है. ऐसा धन न तो स्थायी होता है और न ही सुख देता है. आखिर में ऐसे कर्म मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं और उसका जीवन संकटों से घिर जाता है.

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  • विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति किसी अन्य की पत्नी या स्त्री से अनैतिक संबंध बनाता है, उसका पतन होना निश्चित होता है. ऐसा आचरण न केवल धर्म के विरुद्ध है, बल्कि समाज और आत्मा के संतुलन को भी नष्ट करता है. अंत में ऐसा व्यक्ति सम्मान, सुख और जीवन की स्थिरता सब कुछ खो देता है.
  • विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति सच्चे और शुभचिंतक मित्र का त्याग करता है, वह स्वयं अपने विनाश का मार्ग चुनता है. ऐसे मित्र जीवन के संकट में आधार होते हैं और उनका साथ छोड़ने वाला व्यक्ति अकेला पड़ जाता है. अंततः उसका जीवन दुःख, असफलता और पश्चाताप से भर जाता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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