Vidur Niti: ना धन, ना ताकत… सिर्फ ये दो गुण और मिल जाता है स्वर्ग से ऊंचा स्थान

Vidur Niti: विदुर नीति, जिसे आज भी जीवन का मार्गदर्शन माना जाता है. इस ग्रंथ में बताया गया है कि विवेक, कर्तव्य और नैतिकता के सहारे मनुष्य अंधकार में भी उजाले का मार्ग खोज सकता है. विदुर की नीति आज की भागती-दौड़ती दुनिया में स्थिरता और सच्चाई की आवाज है.

By Shashank Baranwal | April 15, 2025 8:38 AM
an image

Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत के उन दुर्लभ पात्रों में हैं, जिनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि जन्म नहीं, बल्कि चरित्र महानता तय करता है. राजघराने के बाहर जन्म लेकर भी उन्होंने अपने ज्ञान, धर्मबुद्धि और नीतिकुशलता से हस्तिनापुर जैसे विशाल साम्राज्य में प्रधानमंत्री का पद हासिल किया. वे सच्चाई के ऐसे प्रहरी थे, जिन्होंने सत्ता और संबंधों की परवाह किए बिना राजा धृतराष्ट्र को भी सत्य का कठोर मार्ग दिखाया. उनके लिए धर्म कोई रीत नहीं, बल्कि जीवन का सिद्धांत था. विदुर नीति, जिसे आज भी जीवन का मार्गदर्शन माना जाता है. इस ग्रंथ में बताया गया है कि विवेक, कर्तव्य और नैतिकता के सहारे मनुष्य अंधकार में भी उजाले का मार्ग खोज सकता है. विदुर की नीति आज की भागती-दौड़ती दुनिया में स्थिरता और सच्चाई की आवाज है. अमूमन हर इंसान स्वर्ग जाने की चाहत रखते हैं, लेकिन महात्मा विदुर बताते हैं कि इन 2 स्वभाव के लोग स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान हासिल करते हैं.

महान होते हैं इस तरह के लोग

महात्मा विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति शक्तिशाली होने के बावजूद दूसरों के प्रति क्षमा भाव रखता है, वह वास्तव में महान होता है. शक्ति होने पर भी यदि कोई क्षमा करता है, तो यह उसके चरित्र की उच्चता को दर्शाता है. ऐसा व्यक्ति न केवल समाज में सम्मान प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी वह स्वर्ग से ऊंचा स्थान प्राप्त करता है. क्षमा एक दिव्य गुण है जो केवल सच्चे ज्ञानी और उदार हृदय वाले व्यक्ति में होता है.

यह भी पढ़ें- विदुर नीति से सीखें कैसे बनें सम्माननीय और गुणी व्यक्ति

यह भी पढ़ें- महात्मा विदुर के चार अमूल्य सूत्र जो बदल सकते हैं आपका जीवन

साधारण मनुष्य में नहीं होती त्याग की भावना

विदुर नीति के अनुसार, यदि कोई निर्धन व्यक्ति, जिसके पास बहुत कम है, फिर भी दूसरों की सहायता के लिए दान करता है, तो वह वास्तव में महान कहलाता है. ऐसा त्याग भाव किसी साधारण मनुष्य में नहीं होता है. यह दर्शाता है कि उसका हृदय कितना उदार और करुणामय है. विदुर कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति को स्वर्ग से भी ऊंचा स्थान प्राप्त होता है, क्योंकि वह अपनी आवश्यकता को त्यागकर दूसरों के कल्याण को प्राथमिकता देता है.

यह भी पढ़ें- Vidur Niti: अकेलेपन में छिपा है खतरा, इन 4 कामों से रहें दूर

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Life and Style

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version