भ्रामरी प्राणायाम
बैठ या लेट जाएँ.
आंखें बंद करें और शांति बनाए रखें.
अपने नासिकांग (नाक से ऊपर) को अंगूठे से बंध दें.
सांस लेकर गले से मधुर ध्वनि में “भ्रामर” के नाम की ध्वनि उत्पन्न करें
प्राणायाम के दौरान ध्यान रखें.
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इस प्राणायाम से मस्तिष्क को शांति मिलती है और मानसिक तत्वों को संतुलित करने में मदद मिलती है.
भ्रामरी प्राणायाम ध्यान को बढ़ाने में भी सहायक होता है और मानसिक स्थिरता प्राप्त करने में सहायक होता है.भ यह तनाव को कम करने में मदद करता है और मानसिक शांति प्राप्त करने में सहायक होता है.
पद्मासन
धीरे-धीरे बैठें.
पैरों को समठित रखें और जाँघों को पैरों के अंगूठों के पास रखें.
हाथ पीठ के नीचे रखें और पैरों की ऊंचाई के बढ़ावे के साथ शांति बनाए रखें.
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पद्मासन से शारीरिक स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे पीठ, घुटने, और अंगुलियों की मांसपेशियाँ मजबूत होती है. इस आसन में बैठने से ध्यान और अध्ययन करने में सहायकता मिलती है, क्योंकि यह मानसिक तनाव को कम करता है और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है.