दरअसल, अभी अल्जाइमर बीमारी के बारे में मस्तिष्क के स्कैन और सेरीब्रोस्पाइनल तरल के परीक्षण से पता चलाया जाता है. यह तरल मेरुदंड में सूई डाल कर निकाला जाता है. यह प्रक्रिया खर्चीली है, लेकिन यह रोगी की हालत के बारे में सटीक जानकारी देती है.
अमेरिका के बर्मिंघम एडं विमंस हॉस्पिटल के अनुसंधानकर्ता खून की ऐसी जांच की विधि विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, जो इस कष्टदाई प्रक्रिया का स्थान ले सके. अस्पताल से डोमिनिक वाल्श ने कहा, ‘अल्जाइमर की बीमारी के लिए रक्त परीक्षण आसानी से और अनेक बार दफ्तर के प्राइमरी केयर में ही किया जा सकता है. इसके लिए अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे परीक्षण को और लोगों पर कर उसे सत्यापित करन की जरूरत है, लेकिन शुरुआत में लोगों के दो समूह पर परीक्षण में जैसे नतीजे आये हैं, वैसे और नतीजे आते हैं, तो यह एक अहम उपलब्धि साबित होगी.