Bokaro News :समय ने ऐसा मारा दांव की पहलवान हो गये चित हो, किस्सा बन गयी कुश्ती

Bokaro News : प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम बोकारो के सिटी पार्क अखाड़ा परिसर में पहलवानों के बीच रविवार को आयोजित किया गया. कार्यक्रम में दर्जनों पहलवानों ने अपनी समस्याएं

By MANOJ KUMAR | June 16, 2025 1:17 AM
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Bokaro News : प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम बोकारो के सिटी पार्क अखाड़ा परिसर में पहलवानों के बीच रविवार को आयोजित किया गया. कार्यक्रम में दर्जनों पहलवानों ने अपनी समस्याएं साझा की. बोकारो जिला कुश्ती संघ के कोषाध्यक्ष चंदन कुमार, सदस्य सह राष्ट्रीय कोच मृत्युंजय कुमार, एनआइएस राजू कुमार, पहलवान रंजीत यादव आदि ने बताया कि कभी अखाड़ों में पहलवानों की ताल दूर तक सुनी जाती थी. कैंचा और धोबिया पाट जैसे दांव से प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाने वाले पहलवानों की कमी नहीं थी, लेकिन, समय ने ऐसा दांव मारा की पहलवान चित हो गये. कुश्ती किस्सा बन गयी. हाल यह है कि अब अखाड़ों की मिट्टी से पसीने की खुशबू न जाने कहां चली गयी है. गठीला बदन युवाओं की शान होता है. कुछ समय पहले तक इसके लिए युवा अखाड़ों का सहारा लिया करते थे. सुबह और शाम प्रतिदिन युवा व्यायाम के साथ ही आपस में गुरु की देखरेख में जोर-आजमाइश करते थे. अच्छी कुश्तियां लड़ी जाती थीं, लेकिन पहलवानों को सुविधा नहीं मिलने से अब बोकारो के युवा अखाड़ा से दूर होते जा रहे हैं.

कुश्ती में बोकारो को कई मेडल दिला चुके हैं स्थानीय पहलवान :

कुश्ती के लिए मैट की दरकार :

बोकारो के युवा पहलवानों में राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचकर मेडल जीतने का माद्दा है. बशर्ते उनको इसके लिए जरूरी सुविधा मुहैया करायी जाये. शहर में कुश्ती के लिए मैट की दरकार है. अखाड़ों पर मिट्टी में युवा कम उतर रहे हैं, लेकिन मैटिंग पर युवा घंटों तक जोर आजमाइश कर सकते हैं. सरकार, जिला प्रशासन, बीएसएल प्रबंधन मैट उपलब्ध करवा कर शहर में कुश्ती को बढ़ावा दे सकते हैं. शहर के युवाओं का रुझान अखाड़ों की जगह जिम में हो गया है.

सिटी पार्क में वर्ष 1970 से मिट्टी के अखाड़े पर पहलवानों के चल रहे दांव-पेच :

रोजाना सुबह 07 बजे से 09 बजे तक होता है अभ्यास :

पहलवान जानकी राय का कहना है कि यहां कुश्ती लड़ने की कला सीख कई युवाओं ने प्रदेश और देश को गोल्ड मेडल जीता है. यहां से गोल्ड मेडल विजेता आज सरकारी नौकरी में भी अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन समय के साथ अखाड़े की व्यवस्था नहीं बदली गयी. इस कारण आज यहां कुश्ती सीखने वाले युवा अपने बेहतर खेल का प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं. बुधवार को छोड़कर रोजना सुबह 07 बजे से 09 बजे तक अभ्यास होता है.

सुविधा और उच्च कोटि का प्रशिक्षण नहीं मिलने अखाड़ों से दूर होते जा रहे हैं पहलवान

बीएसएल प्रबंधन व जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर आग्रह किया गया है कि बोकारो में कुश्ती के खिलाड़ी बेहद अभावग्रस्त हैं और सभी मौसम में सुचारु ढंग से मैट पर प्रैक्टिस करने के लिए एक सभागार प्रदान किया जाये. अगर उच्च कोटि का प्रशिक्षण मिले तो राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बोकारो के पहलवान जिला का नाम रोशन करेंगे.

बोकारो के सिटी पार्क अखाड़ा में वर्षों से बच्चे और युवा पहलवानी की प्रैक्टिस करते आ रहे हैं और कुश्ती के दांव-पेच सीखते हैं. इस अखाड़ा में आज भी पारंपरिक तरीके से ही पहलवानी करायी जा रही है, क्योंकि यहां आधुनिक सुविधाओं का अभाव है.

यहां आधुनिक सुविधा की कमी है. जिस कारण खिलाड़ी सही से प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं. खिलाड़ियों के पास ट्रेनिंग किट तक नहीं है. इससे प्रैक्टिस प्रभावित होती है. अगर यहां की व्यवस्था दुरुस्त की जाए तो खिलाड़ी बहुत अच्छा कर सकते हैं.

– सूरज कुमार, पहलवान

– प्रज्ञा प्रखर, पहलवान

-शिवम कुमार, पहलवान

सूरज कुमार वर्मा

मंजू कुमारी

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