Education news from Samastipur:बच्चों को बहुभाषी बनाने के लिए दी जायेगी ट्रेनिंग

Education news from Samastipur: प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : भारत एक ऐसा देश है जहां भाषा अनेक है. लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि यूरोपीय या अन्य देशों की तुलना

By ABHAY KUMAR | May 25, 2025 6:33 PM
an image

Education news from Samastipur: प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : भारत एक ऐसा देश है जहां भाषा अनेक है. लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि यूरोपीय या अन्य देशों की तुलना में आम भारतीय बहुभाषिक नहीं होते हैं. भाषा सीखने का संदर्भ रोजगार तक ही सीमित रह जाता है जिस कारण हर अभिभावक का जोर अपने बच्चों को सिर्फ अच्छी अंग्रेजी सिखाने पर रह जाता है. लेकिन शोध बताते हैं कि बहुभाषी होने से बच्चों के स्वस्थ मानसिक विकास में काफी मदद मिलती है. जिले के स्कूलों के बच्चे अब गीतों और फिल्मों से नई भाषा सीखेंगे. बच्चों को बहुभाषी बनाने के लिए एनसीईआरटी और एससीईआरटी ने यह पहल की है. शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर बिहार शिक्षा परियोजना ने समस्तीपुर समेत सभी जिलों को गाइडलाइन जारी की है. सरकारी स्कूलों के साथ साथ निजी स्कूलों को भी इस अभियान में शामिल होने का निर्देश मंत्रालय ने दिया है. सभी स्कूलों को कम से कम 100-100 बच्चों को जोड़ने को कहा गया है. भाषा अभियान के तहत पहले चरण के सात दिनों के लिए 28 घंटे की कार्ययोजना बनाई गई है. इसमें सभी स्कूलों को शामिल होना है. अन्य भाषा में अनुवादित फिल्म को दिखाकर बच्चों को संबंधित भाषा सिखाई जायेगी. शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि छोटी उम्र में ही विभिन्न भाषाओं के बारे में अगर बच्चों में जागरूकता होती है तो उससे जुड़ने के लिए वे आजीवन प्रयासरत रहेंगे. बहुभाषावाद सिखाने में स्कूलों की भूमिका महत्वपूर्ण है. ऐसे में सभी स्कूलों में इस बार भारतीय भाषा समर कैंप आयोजित किया जाना है.

भाषा सीखने की प्रक्रिया को मजेदार बनायेंगे शिक्षक

डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने बताया कि भाषा की पढ़ाई केवल लेखों, कविताओं और व्याकरण की किताबों तक ही सीमित नहीं है. किसी भी भाषा के चलचित्र या गाने उस भाषा को सिखने की प्रकिया को मजेदार बना देते हैं. भाषा सीखना अपने आप में एक यात्रा है. बहुभाषी होने के अपने कई फायदे हैं. यह आपके बच्चे को दुनिया के बारे में अधिक जानने का अवसर देने के बराबर है. संसाधनों के साथ उनकी मदद करने के साथ-साथ, उनकी इस भाषा की यात्रा के लिए एक उत्साहजनक वातावरण बनाने का प्रयास करें. भाषा सीखने में रुचि रखने वाले कुछ समुदाय खोजें या खुद ही समान रुचियों वाले बच्चों का समूह बनाएं. इससे बच्चों को इस नयी भाषा में बोलने की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. याद रखें कि यह यात्रा हमेशा आसान नहीं होगी और रातों-रात किसी भाषा में निपुणता नहीं आती. एक नयी भाषा सीखने के लिए बच्चों को सबसे ज्यादा आपके मार्गदर्शन और निरंतर समर्थन की आवश्यकता होगी. विद्यालयों के शिक्षक भाषा सीखने की प्रक्रिया को मजेदार बनाएंगे.

रचनात्मक माहौल तैयार किया जायेगा

शिक्षक रणजीत कुमार ने बताया कि समर कैंप में विद्यार्थियों में आत्म परिचय, शब्दावली निर्माण, वास्तविक जीवन में बातचीत की प्रथाओं के बारे में जानकारी, संस्कृति की सराहना आदि के बारे में जानकारी दी जायेगी. कैंप के दौरान विद्यार्थियों में बहुभाषावाद की समझ को समग्र रूप से तेज करने की कवायद की जायेगी. बच्चों में एक से अधिक भाषा सीखने के लिए रचनात्मक माहौल तैयार किया जायेगा. पहले दिन रोल प्ले फ्लैश कार्ड के माध्यम से वर्णमाला से संबंधित अभिव्यक्तियों को बताया जायेगा. दूसरे दिन ऑडियो-वीडियो के माध्यम से वर्चुअल शहर भ्रमण बच्चों को कराया जायेगा. कैसे रेस्टोरेंट से खाना मंगाना है, बस स्टॉप की दिशा पूछना, यातायात नियमों के बारे में समझाना आदि विषय पर बताया जायेगा.

बहुभाषावाद सीखाने में स्कूलों की भूमिका होगी महत्वपूर्ण

तीसरे दिन गीत संगीत के माध्यम से देशभक्ति गीतों को विभिन्न भाषाओं में गाकर गतिविधि कराई जायेगी. विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों के प्रयोग के बारे में बताया जायेगा. चौथे दिन विभिन्न प्रकार के भारतीय व्यंजन के बारे में जानकारी दी जायेगी. पांचवें दिन विभिन्न प्रकार के कलाकारों, स्वतंत्रता सेनानी, प्रख्यात व्यक्तियों आदि के बारे में बच्चों को लघु फिल्म दिखायी जायेगी. छठे दिन नदी, पहाड़ अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में जानकारी दी जायेगी. सातवें दिन बच्चों के द्वारा अभिभावकों के सामने प्रस्तुति की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version