Gaya News : सत्यनारायणपुर में प्यास बुझाना चुनौती से कम नहीं

मोहड़ा. मोहड़ा प्रखंड के सत्यनारायणपुर गांव के लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. हर साल गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता

By PANCHDEV KUMAR | April 15, 2025 10:07 PM
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मोहड़ा. मोहड़ा प्रखंड के सत्यनारायणपुर गांव के लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है. हर साल गर्मी के मौसम में ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. मोहड़ा प्रखंड क्षेत्र की तेतर पंचायत का सत्यनारायणपुर गांव जो पहाड़ की तलहटी में बसा है. उस गांव की निवासी सिवरती देवी, असकतिया देवी, सुगन मांझी, फुलवा देवी, राधा देवी के साथ दर्जनों की संख्या में उपस्थित महिला, पुरुष व बच्चाें ने बताया कि गर्मी का मौसम हम ग्रामीणों पर कहर बन कर टूटता है. एक तरफ पहाड़ की तपन तो दूसरी तरफ प्यास से हलकान से लोग काफी परेशान रहते हैं. ग्रामीणों ने यह भी बताया कि स्कूली बच्चा हो या गांव के अन्य लोग, नहाना तो दूर की बात प्यास बुझाना भी चुनौती है. सरकार की योजना भी सपने जैसी है. ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों को सूचना दी गयी, लेकिन न तो नल जल योजना का काम करवाया गया और न पेयजल की सुविधा दी गयी. तकरीबन 500 घर वाले इस महादलित बस्ती में पानी के लिए त्राहिमाम है. ग्रामीण सोनी देवी सविता देवी ने बताया कि निजी चापाकलों के सहारे प्यास बुझाने का प्रयास किया जा रहा है. कभी-कभी तो पानी लेने के एवज में गाली भी सुननी पड़ती है, पर क्या करें. प्यास बुझाने के ख्याल से गाली भी सुन लेते हैं. क्या कहते हैं अधिकारी पीएचइडी की एसडीओ मौसमी कुमारी ने बताया कि बोरिंग तो करवायी गयी थी, पर समय से उसमें मोटर नहीं लगने के कारण पुनः धराशायी हो गयी. हर संभवव ग्रामीणों के बीच पेयजल मुहैया करवाने का प्रयास किया जायेगा. क्या कहती हैं मुखिया सत्यनारायणपुर, सीतारामपुर, पथरी, भागवत नगर व चणडीह में भीषण पेयजल समस्या है. ग्रामीणों को काफी परेशान का सामना करना पड़ता हैं. इन गांवों में एक चापाकल पर दर्जनों की कतार लगी रहती है. सत्यनारायणपुर गांव में तो कुछ लोगों के द्वारा 20 रुपये प्रति गैलन पानी खरीदने का भी काम किया जाता है. पदाधिकारी इन समस्याओं पर ध्यान नहीं देते. शिल्पी सिंह, मुखिया, तेतर पंचायत क्या कहते हैं लोग गर्मी का मौसम हम सबों के लिए एक बड़ी विपदा है. हर वर्ष पेयजल के लिए तड़पना पड़ता है.यहां खुद की प्यास बुझाना एक बड़ी चुनौती बन जाती है. प्रशासन को अपनी ओर से पहल करनी होगी. शिवनंदन पासवान, ग्रामीण जिस गांव में पेयजल की समस्या हो, वहां अन्य विकास की बात क्या करना. हमारे गांव के दिव्यांग हो या गर्भवती सभी को दूर से पानी लाकर प्यास बुझाने का काम करना पड़ता है. इस दिक्कत को दूर किया जाये. रामविलास मांझी, वार्ड सदस्य ग्रामीणों को पेयजल रुला रहा है. यहां तक की मजदूरी करने में भी बाधा पहुंच जाती है. पेयजल के लिए लोगों को लाइन लगाना पड़ता है. पानी को लाने के चक्कर में मजदूरी का समय निकल जाता है. राजीव मांझी, ग्रामीण पेयजल की समस्या से काफी जूझना पड़ता है. छह माह की गर्भवती होने के बावजूद एक किलोमीटर दूर चलकर पानी लाना पड़ता है. तब जाकर अपनी व अपने बच्चों की प्यास बुझा पाती हूं. रूपा देवी, ग्रामीण ग्रामीणों के द्वारा कई बार गुहार लगायी गयी पर न तो कोई जनप्रतिनिधि सुन पा रहा और न ही कोई पदाधिकारी सुन रहा. ग्रामीण पेयजल समस्याओं से हर वर्ष जूझ रहे हैं. इसको दूर किया जाये. राधा देवी, गृहिणी

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