कुमार मनीष देव, रजौली
यह रजौली-बख्तियारपुर फोरलेन सड़क एनएच-20 से कुछ ही दूरी पर स्थित है. यह शानदार बांध तिलैया नदी पर फुलवरिया गांव के निकट बनाया हुआ है. झारखंड के कोडरमा से यहां आने की दूरी लगभग 35 किलोमीटर है. लगभग इतनी हीं दूरी नवादा से भी है. इसकी निर्माण प्रक्रिया वर्ष 1979 से शुरू होकर 30 जून 1985 में पूर्ण हुई थी. इसकी लंबाई 1135 मीटर और ऊंचाई 25.13 मीटर है. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान लोगों ने फुलवरिया डैम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग उठायी. साथ ही डैम से संबंधित योजनाओं को धरातल पर उतारने की मांग अधिकारियां से की.
साथ ही यह क्षेत्र वन्यजीव आश्रयणी क्षेत्र का भी हिस्सा है, जो इसे प्रकृति व वन्यजीव प्रेमियों व आध्यात्मिक साधकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाता है. चारों ओर फैली हरियाली व रमणीय दृश्यों के कारण, फुलवरिया डैम को “बिहार का मेघालय ” भी कहा जाता है. इसकी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण यहां आने वाले यात्रियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाते हैं. जलाशय के अंदर क्षेत्र में छोटे-छोटे टापू हैं, जो हरी-भरी वनस्पतियों से आच्छादित हैं और देखने में अत्यंत मनोरम लगते हैं. बिहार सरकार इसकी पर्यटन क्षमता को ध्यान में रखते हुए इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है.
पर्यटन मंत्री डैम का ले चुके हैं जायजा
जिला प्रशासन से लेकर बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री भी इस रमणीक स्थल पहुंच कर प्रकृति के गोद में रहे जलाशय का जायजा भी ले चुके हैं व इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रपोजल की भी मांग जिला प्रशासन से की गयी थी. लेकिन, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा सका है. जबकि इस स्पॉट पर पिकनिक और स्थानीय अनुभव पर्यटक यहां डैम की शांत जलधारा में नौका विहार का आनंद ले सकते हैं. इससे वे इसकी अद्भुत प्राकृतिक छटा को करीब से महसूस कर सकते हैं. चिरैला गांव की कहानी फुलवरिया डैम के निर्माण के दौरान चिरैला व सिंगर समेत अन्य गांव जलमग्न हो गया था.
पारंपरिक जीवनशैली का अनोखा अनुभव
डैम के भीतर मौजूद हरे-भरे छोटे द्वीप पिकनिक के लिए बेहतरीन स्थान हैं, जहां परिवार और यात्रा प्रेमी प्रकृति की गोद में सुकून के पल बिता सकते हैं. आसपास के जंगली गांवों में पारंपरिक जीवनशैली का अनोखा अनुभव लिया जा सकता है. स्थानीय लोग मुख्य रूप से मछली पकड़ने का काम करते हैं और पारंपरिक नावों से आवागमन करते हैं. खासकर, महिलाओं का समूह में नाव चलाना इस स्थान के सौंदर्य को और भी आकर्षक बनाता है. लेकिन अब मडैम में मछली पालन करने के लिए टेंडर निकालकर मछली पकड़ने का कार्य कराया जा रहा है.
पर्यटन की असीम संभावनाएं होने के बाद भी उपेक्षा का शिकार है फुलवरिया डैम
डैम से गांवों में पहुंच रहा शुद्ध जल
आधी डूबी हुई मस्जिद
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
चारों और पानी ही पानी, लोगों की बढ़ गयी परेशानी
Bokaro News : क्यूसी टूल्स व टेक्नीक्स से कार्य दक्षता व प्रक्रियाओं की समग्र गुणवत्ता में होगा सुधार
Deoghar news : शिवलोक क्षेत्र में मेला देखने आये बिहार के श्रद्धालु की बाइक चोरी
Deoghar news : श्रावणी मेले में ड्यूटी पर आये जमशेदपुर के पुलिस जवान की मौत