विद्यार्थी समाज व उद्योग जगत में विशिष्ट पहचान बनायेंगे – प्राचार्य

गया कॉलेज मेंएमबीए चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों की मौखिक परीक्षा संपन्न प्रोजेक्ट व वाइवा से संवाद कौशल, प्रस्तुतीकरण क्षमता व विषय की व्यावहारिक समझ होती है विकसित संवाददाता, गया जी

By HARIBANSH KUMAR | July 24, 2025 6:52 PM
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गया कॉलेज मेंएमबीए चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों की मौखिक परीक्षा संपन्न प्रोजेक्ट व वाइवा से संवाद कौशल, प्रस्तुतीकरण क्षमता व विषय की व्यावहारिक समझ होती है विकसित संवाददाता, गया जी गया कॉलेज के प्रबंधन विभाग में गुरुवार को एमबीए चतुर्थ सेमेस्टर के विद्यार्थियों का प्रोजेक्ट व मौखिक परीक्षा संपन्न हो गयी. इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय बोधगया के वाणिज्य-सह-प्रबंधन संकाय के भूतपूर्व संकायाध्यक्ष डॉ गिरीश नंदन शर्मा तथा सामाजिक विज्ञान संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष डॉ अश्विनी कुमार बाह्य परीक्षक के रूप में उपस्थित रहे. दोनों ने विद्यार्थियों की ओर से प्रस्तुत शोध कार्यों की गंभीरता से समीक्षा की. प्रबंधन विभागाध्यक्ष डॉ अंब्रीष नारायण ने बताया कि एमबीए सत्र 2023-25 के विद्यार्थियों के लिए कॉलेज में उनका अंतिम शैक्षणिक दिवस था, जिसे उन्होंने अत्यंत आत्मीयता और गरिमा के साथ विदाई स्वरूप रूपांतरित कर दिया. विद्यार्थियों ने सभी शिक्षकों से अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए स्नेहिल आशीर्वाद प्राप्त किया. विभागाध्यक्ष ने कहा कि हर विदाई एक नयी शुरुआत होती है. हमें गर्व है कि हम ऐसे विद्यार्थियों को विदा कर रहे हैं, जो अपने ज्ञान, व्यवहार और मूल्यों के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे. प्राचार्य ने दीं शुभकामनाएं गया कॉलेज के प्राचार्य डॉ सतीश सिंह चंद्र ने कहा कि प्रोजेक्ट व वाइवा जैसी प्रक्रियाएं विद्यार्थियों के लिए न केवल शैक्षणिक मूल्यांकन का अवसर होती हैं, बल्कि उनके भीतर संवाद कौशल, प्रस्तुतीकरण क्षमता एवं विषय की व्यावहारिक समझ को भी विकसित करती है. उन्होंने एमबीए चतुर्थ सेमेस्टर के सभी छात्र-छात्राओं को उनके स्वर्णिम भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. कहा, गया कॉलेज को विश्वास है कि हमारे विद्यार्थी समाज और उद्योग जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनायेंगे. उन्होंने बाह्य परीक्षकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया. परीक्षा के सफल संचालन के लिए विभागीय शिक्षक डॉ सुशांत मुखर्जी, अमृता सिन्हा, अजीत राज सहित कर्मचारीगण सैयद खान, शाहिदा, कामिनी, उमेश, लालेश्वर व शीला का विशेष योगदान रहा.

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