जेल में बंद जस्टिस कर्णन की याचिका पर शीघ्र सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस सीएस कर्णन की जमानत मांगनेवाली और अवमानना के लिए उन्हें सुनायी गयी सजा को चुनौती देनेवाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से फिर से इनकार कर दिया. जब जस्टिस कर्णन की ओर से पेश वकील ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 3, 2017 6:47 PM
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नयी दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस सीएस कर्णन की जमानत मांगनेवाली और अवमानना के लिए उन्हें सुनायी गयी सजा को चुनौती देनेवाली याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से फिर से इनकार कर दिया. जब जस्टिस कर्णन की ओर से पेश वकील ने याचिका पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा, ‘उनके साथ गंभीर अन्याय हुआ है’, तो प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड की पीठ ने कहा, ‘खारिज. हम फैसले के खिलाफ मौखिक आवेदन स्वीकार नहीं करेंगे.’ पूर्व न्यायाधीश की ओर से पेश वकील मैथ्यू जे नेदुमपारा ने कहा कि जस्टिस कर्णन विस्तृत फैसले के बिना जेल में बंद हैं और इसके अलावा उन्हें दोषी ठहरानेवाली पीठ के सात में से एक न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

नाराज दिख रही पीठ ने कहा, ‘आप इस अदालत की कार्यवाही बाधित करने के आदतन इच्छुक रहते हैं. आप (वकील) एक ही बात बार-बार कहते हैं. (याचिका) खारिज.’ कर्णन को शीर्ष अदालत के अदालत की अवमानना मामले में छह महीने की जेल की सजा के फैसले के तहत 20 जून को गिरफ्तार किया गया था. उच्चतम न्यायालय की अवकाश पीठ ने 21 जून को उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि वह इस मामले में सात न्यायाधीशों की पीठ के ‘फैसले को नहीं बदल सकती.’

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से 12 जून को सेवानिवृत्त हुए 62 वर्षीय कर्णन को पश्चिम बंगाल सीआइडी ने 20 जून को गिरफ्तार किया. वह नौ मई से कोयंबटूर में थे. इसी दिन उच्चतम न्यायालय ने उन्हें अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था और छह माह कारावास की सजा सुनायी थी. कर्णन पद पर रहते हुए कारावास की सजा पानेवाले और बतौर भगोड़ा सेवानिवृत्त होनेवाले किसी उच्च न्यायालय के पहले न्यायाधीश हैं.

प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षतावाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने नौ मई को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को तत्कालीन न्यायाधीश को तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया था. कई बार प्रयास करने के बावजूद कर्णन को उच्चतम न्यायालय की अवकाश पीठ से कोई राहत नहीं मिली. इसने कर्णन की कारावास की सजा पर स्थगन लगाने के लिए सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया.

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