वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा कि डोकलाम इलाके में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच टकराव गुपचुप तरीके से चली जा रही चीन की चाल का हिस्सा हो सकता है, जिसके जरिये वह यथास्थिति में ‘इंच दर इंच’ का परिवर्तन लाता है. इससे आगे जाकर उसे रणनीतिक लाभ मिल सकता है.
भूटान तिराहे के पास सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में चीनी सेना के एक निर्माण दल के एक सड़क बनाने के प्रयास के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच तीन सप्ताह से भी अधिक समय से गतिरोध जारी है. ओबामा प्रशासन के दौरान विदेश विभाग में कार्यरत रहीं एक पूर्व अधिकारी एलिसा आयरेस ने बताया, ‘सीमा पर टकराव को लेकर हम चिंतित हैं, और निश्चित तौर पर भारत में भी कोई लोग चिंतित होंगे.
विदेश संबंध परिषद में भारत, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया मामलों की सीनियर फैलो आयरेस ने कहा कि यह चीन की वृहत चाल का हिस्सा है, जिसे विवादित दक्षिण चीन सागर में भी देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह ‘लंबे समय में रणनीतिक लाभ लेने के लिए चीन की इंच-दर-इंच पर कब्जा करने की चीन की नीति का हिस्सा है.
जॉन हाप्किंस विश्वविद्यालय के पॉल एच नित्जे स्कूल ऑफ एंडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में सीनियर रिसर्च प्रोफेसर डेनियल मर्की ने कहा कि वह इस बात को लेकर बहुत अधिक चिंतित नहीं क्योंकि भारत और चीन सीमा विवाद को लेकर शांतिपूर्ण रास्ता अख्तियार करते रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘दशकों से वे कूटनीतिक तरीके से और गंभीर हिंसा के बिना इस तनाव को संभालने की क्षमता दिखाते रहे हैं.’ मर्की ने कहा, ‘लेकिन मैं इस आशंका से अधिक चिंतित हूं कि तिब्बत और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रों में तनाव के कारण इस विवाद को संभालना ज्यादा मुश्किल होगा.’
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