इन्हें मिलेगी छूट
न्यायाधीश ने कहा कि किसी कायर्क्रम में यदि किसी व्यक्ति या संगठन को गीत गाने या बजाने में दिक्कत है, तो उन्हें इसे गाने के लिए बाध्य या मजबूर नहीं किया जायेगा, बशर्ते वैध कारण न हो.
क्या है मामला
वीरामणी नाम के एक छात्र ने राज्य सरकार की नौकरी के लिए परीक्षा दी थी जिसमें वह एक नंबर से फेल हो गया. फेल होने का कारण वंदे मातरम गीत किस भाषा में लिखा गया है इस सवाल के जवाब में गलत उत्तर देना बताया गया था. वीरामणी ने अपने उत्तर में बताया था कि वंदे मातरम गीत बंगाली भाषा में लिखी गयी थी, जबकि बोर्ड की तरफ से उसका सही उत्तर संस्कृत बताया गया. इसी को लेकर वीरामणी ने मद्रास हाइकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर वंदे मातरम की भाषा पर स्थिति साफ करने का आग्रह किया था. 13 जून को राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट में बताया कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम मूल तौर पर संस्कृत भाषा में था, लेकिन उसे बंगाली भाषा में लिखा गया था. इसी के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने वंदे मातरम को सभी स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनिवार्य करने का फैसला सुनाया.
कोर्ट ने क्या कहा
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में सप्ताह में एक बार वंदे मातरम जरूर बजना चाहिए. सभी सरकारी दफ्तरों, प्राइवेट कंपनियों में भी महीने में एक बार राष्ट्रगीत जरूर बजना चाहिए. राज्य के सूचना विभाग को वंदे मातरम को सभी भाषा में अपलोड करना चाहिए, उन्हें इसे सोशल मीडिया पर भी डालना चाहिए. इस आदेश की एक कॉपी तमिलनाडु के मुख्यसचित को भी भेजी जाएगी. अगर किसी व्यक्ति को वंदे मातरम गाने में कोई तकलीफ हो रही है, तो उसे जबरन गाने को मजबूर नहीं किया जा सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी सिनेमा हॉल में हर फिल्म के पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य करने को कहा था, कोर्ट ने कहा था कि सभी को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा.