सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में योग को अनिवार्य बनाने वाली याचिका को किया खारिज

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के स्कूलों में योग को जरूरी बनाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता की आेर से राष्ट्रीय योग नीति बनाकर पूरे देश के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक योग जरूरी करने की मांग की गयी है. न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2017 1:04 PM
an image

नयी दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के स्कूलों में योग को जरूरी बनाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. शीर्ष अदालत में याचिकाकर्ता की आेर से राष्ट्रीय योग नीति बनाकर पूरे देश के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक योग जरूरी करने की मांग की गयी है. न्यायमूर्ति एमबी लोकुर की अगुआर्इ वाली पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे पर सरकार फैसला कर सकती है.

इस खबर को भी पढ़िये: गोवा के स्कूलों के लिए योग दिवस मनाना अनिवार्य नहीं : लक्ष्मीकांत परसेकर

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि हम यह कहने वाले कोई नहीं हैं कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए. यह हमारा काम नहीं है. हम कैसे इस पर निर्देश दे सकते हैं. अदालत ने कहा कि उसके लिए ऐसी राहत देना संभव नहीं है, जो याचिका दायर करने वाले वकील और दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय तथा जेसी सेठ ने मांगी है. अदालत ने कहा कि स्कूलों में क्या पढ़ाया जाना चाहिए, यह मौलिक अधिकार नहीं है.

उपाध्याय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी, एनसीटीई और सीबीएसई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वे जीवन, शिक्षा और समानता जैसे विभिन्न मौलिक अधिकारों की भावना को ध्यान में रखते हुए पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए ‘योग और स्वास्थ्य शिक्षा ‘ की मानक किताबें उपलब्ध कराये. सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 29 नवंबर को केंद्र से कहा था कि वह याचिका को एक अभिवेदन की तरह ले और इस पर फैसला करे.

याचिका में कहा गया था कि राज्य का यह कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों खासतौर से बच्चों और किशोरों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराये. कल्याणकारी राज्य में यह राज्य का कर्तव्य होता है कि वह अच्छे स्वास्थ्य के अनुकूल परिस्थितियों को बनाये रखना सुनिश्चित करें. इसमें कहा गया था कि सभी बच्चों को योग और स्वास्थ्य शिक्षा दिये बिना या योग का प्रचार-प्रसार करने के लिए ‘राष्ट्रीय योग नीति’ तय किये बिना स्वास्थ्य के अधिकार को सुरक्षित नहीं किया जा सकता.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version