नयी दिल्ली : सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि भारतीय सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए उसमें बड़ा सुधार किया जायेगा. इस सुधार में तकरीबन 57,000 अधिकारियों और अन्य की फिर से तैनाती के साथ-साथ संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करना शामिल है. रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शायद पहली बार सेना में इस तरह की बड़ी और ‘दूरगामी प्रभाव’ वाली सुधार प्रक्रिया शुरू की जा रही है.
यह पूछे जाने पर कि क्या यह कवायद डोकलाम प्रकरण के बाद की जा रही है, जेटली ने कहा, ‘यह किसी घटना विशेष की वजह से नहीं है. यह डोकलाम से काफी पहले से चल रहा है.’ सुधार पहल की सिफारिश लेफ्टिनेंट जनरल डीबी शेतकर (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षतावाली समिति ने की थी. समिति को सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने और सशस्त्र बलों के रक्षा खर्च का पुनर्संतुलन स्थापित करने की शक्ति दी गयी थी ताकि ‘टीथ टू टेल रेशियो’ को बढ़ाया जा सके. ‘टीथ टू टेल रेशियो’ से आशय हर लडाकू सैनिक (टूथ) के लिए रसद और समर्थन कर्मी (टेल) की मात्रा से है.
जेटली ने कहा कि समिति ने सेना में ढांचागत बदलाव के लिए 99 सिफारिशें की थीं, जिनमें से 65 सिफारिशों को रक्षा मंत्रालय ने सभी हितधारकों के साथ सलाह-मशविरे के बाद स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि सुधारों को लागू किया जाना अब शुरू हो चुका है, जबकि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 31 दिसंबर 2019 तक सुधार की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. सेना में तकरीबन 12 लाख कर्मी हैं और यह दुनिया की अग्रणी थल सेनाओं में से एक है.
जेटली ने संवाददाताओं से कहा, ‘इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, सेना की लड़ाकू क्षमता के बदलते वातावरण में विभिन्न कार्यों में सेना का कैसे सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल किया जा सके.’ मंत्रालय ने कहा कि क्षमता में सुधार के लिए सशस्त्र बलों की विभिन्न शाखाओं में असैनिकों की फिर से तैनाती की जायेगी. सेना सूत्रों ने बताया कि 31,000 असैनिक कर्मचारियों को फिर से तैनात किया जायेगा. इन्हें नये फॉर्मेशन में भी तैनात किया जायेगा. उन्होंने कहा कि सेना की शिक्षा कोर भी सुधार प्रक्रिया का हिस्सा होगी.
जेटली ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल को सेना में सुधार प्रक्रिया के रक्षा मंत्रालय के फैसले की बुधवार को जानकारी दी गयी. शेतकर समिति का गठन पिछले साल मई में किया गया था और इसने दिसंबर में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद पहली कवायद में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के साथ सलाहमशविरा करके चरणबद्ध तरीके से भारतीय सेना में सुधार करने का फैसला किया है. इन फैसलों को रक्षा मंत्री ने मंजूरी दी थी.’
मंत्रालय ने कहा कि पहले चरण में सुधार में फिर से तैनाती और अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों और अन्य रैंक के अधिकारियों और असैनिकों के तकरीबन 57,000 पदों का पुनर्गठन शामिल है. मंत्रालय ने कहा कि सिग्नल लगाने का प्रभावी इस्तेमाल, शांति क्षेत्र में सैन्य फार्म और सैन्य पोस्टल प्रतिष्ठानों को बंद करने के साथ-साथ बेस वर्कशॉप समेत सेना में मरम्मत विभाग का पुनर्गठन भी व्यापक कवायद का हिस्सा होगी. मंत्रालय ने कहा कि वाहन डिपो, आयुध डिपो और केंद्रीय आयुध डिपो समेत आयुध विभाग की फिर से तैनाती होगी.
इसके अलावा वस्तु सूची नियंत्रण व्यवस्था को सुचारू बनाया जायेगा. रसद एवं परिवहन सुविधाओं और पशु परिवहन इकाई का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए भी सुधार किये जायेंगे. सेना में क्लर्कों और चालकों की भर्ती के लिए मानकों में भी सुधार किया जायेगा और राष्ट्रीय कैडेट कोर की क्षमता में सुधार के लिए भी कदम उठाये जायेंगे. मंत्रालय ने कहा, ’39 सैन्य फार्मों को समयबद्ध तरीके से बंद करने का सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के फैसला करने के साथ कार्यान्वयन शुरू हो गया है. ‘सेना के कमांडरों ने अप्रैल में सेना की संपूर्ण हमलावर क्षमता को बढ़ाने के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया था.
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