कर्नाटक में धर्मसंसद : RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, अयोध्या में राममंदिर के सिवा आैर कुछ नहीं बनेगा

उडुपी (उडुपी) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को यह कहते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राममंदिर के निर्माण की जोरदार पैरवी की कि वहां केवल मंदिर ही बनेगा, कुछ और नहीं. इस छोटी सी पावन नगरी में देशभर के करीब दो हजार संतों, मठाध्यक्षों और विहिप नेताओं के महासमागम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2017 8:09 PM
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उडुपी (उडुपी) : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को यह कहते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राममंदिर के निर्माण की जोरदार पैरवी की कि वहां केवल मंदिर ही बनेगा, कुछ और नहीं. इस छोटी सी पावन नगरी में देशभर के करीब दो हजार संतों, मठाध्यक्षों और विहिप नेताओं के महासमागम धर्मसंसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अयोध्या में राममंदिर बनेगा.

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भागवत ने कहा कि हम उसका निर्माण करेंगे. यह कोई लोकप्रिय घोषणा नहीं, बल्कि हमारी आस्था का मामला है. यह नहीं बदलेगा. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि कई सालों की कोशिश और बलिदान के बाद अब राममंदिर का निर्माण संभव जान पड़ता है. हालांकि, वह उल्लेख करना नहीं भूले कि मामला अदालत में है.उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर ही बनाया जायेगा, कुछ और नहीं. यह वहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि मंदिर उसी भव्यता के साथ बनेगा, जैसा पहले था. इसमें उन लोगों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा, जो पिछले 25 सालों से रामजन्मभूमि आंदोलन के अगुआ रहे हैं, लेकिन उससे पहले जनजागरकता अनिवार्य है.

उन्होंने कहा कि हम अपना लक्ष्य हासिल करने के करीब हैं लेकिन इस मोड पर पर हमें अधिक चौकस रहने की जरूरत है. राममंदिर का निर्माण, धर्मांतरण पर रोक, गौरक्षा आदि विहिप की तीन दिवसीय संसद में चर्चा के अहम मुद्दे हैं. आयोजकों ने कहा कि इस बैठक में जाति एवं लिंग के आधार पर भेदभाव के मुद्दों पर भी चर्चा होगी और उन तौर तरीकों पर गौर किया जायेगा, जिससे हिंदू समाज में सौहार्द्र कायम रहे. आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि यहां मौजूद संतों और हिंदुओं को देश और अन्यत्र विद्यमान अनुकूल माहौल पर चिंतन करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि समाज की ताकत उसकी एकता में निहित है. जब उसे नष्ट किया जाता है, तो राष्ट्रविरोधी शक्तियां पैर जमा लेती हैं. हमें धर्मांतरण के परिणामों को समझने की जरूरत है. हमें उन लोगों तक पहुंचने की जरूरत है, जिनके धर्मांतरण की गिरफ्त में आने की आशंका है.

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