संकट में ”आप” के 20 विधायक : सिसोदिया बोले, भाजपा-कांग्रेस कर रही साजिश – राष्‍ट्रपति से लगायेंगे गुहार

नयी दिल्ली : निर्वाचन आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को कथित तौर पर लाभ के पद पर काबिज होने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है. इसके बाद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बड़ी परेशानी में फंस गयी है.... एक ओर भाजपा और कांग्रेस ‘आप’ पर इस मुद्दे को लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2018 5:27 PM
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नयी दिल्ली : निर्वाचन आयोग द्वारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को कथित तौर पर लाभ के पद पर काबिज होने के कारण अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है. इसके बाद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बड़ी परेशानी में फंस गयी है.

एक ओर भाजपा और कांग्रेस ‘आप’ पर इस मुद्दे को लेकर हमला कर रही है, तो दूसरी ओर ‘आप’ ने इसे भाजपा और मोदी सरकार की साजिश बताया. पार्टी ‘परेशान किये जाने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि वह ‘चुनावों से नहीं डरती है.’

दिल्‍ली के उपमुख्‍यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, हमने दिल्ली के लोगों की मुश्किलों को कम करने के लिए काम किया, हमने बिजली के दाम कम किये, विधायकों ने काम के लिए अपनी गाड़ी का इस्तेमाल किया, पानी के दाम हमने कम किये, हमारे काम से बेईमान लोगों की दुकानें बंद स्कूलों की स्थिति अच्छी हुई, फ्लाइओवर्स बनाये गये. भाजपा और कांग्रेस को इसी से दिक्कत हुई और अरविंद केजरीवाल सरकार के काम की गति को धीमी करने की साजिश की गयी. सिसोदिया ने कहा, इस मुद्दे को लेकर हमें कभी नोटिस नहीं दिया गया और न ही हमें अपनी बात रखने का मौका दिया गया. हमारे विधायक जल्द ही इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे.

* दिल्‍ली की जनता और केजरीवाल से बदला ले रही है भाजपा

‘आप’ की दिल्ली इकाई के प्रमुख गोपाल राय ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी अनुशंसा भेजने से पहले पार्टी का पक्ष नहीं सुना। उन्होंने कहा, ‘यह अलोकतांत्रिक कदम है. वे दिल्ली के लोगों, सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री से बदला ले रहे हैं.’

‘आप’ नेता ने कहा कि 11 राज्यों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गयी लेकिन केवल आप को निशाना बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यह दोहरा मापदंड है. क्या संविधान सब पर लागू नहीं होता है? हमें परेशान किया जा रहा है. यह ब्रिटिश राज से भी बुरा है.’ राय ने कहा, ‘हम न्याय की मांग को लेकर सभी लोकतांत्रिक मंचों पर जाएंगे.’ लोगों तक ‘आप’ की पहुंच को रेखांकित करते हुए राय ने कहा, ‘हम चुनावों से डरे नहीं हैं. हमारा भाग्य लोग तय करते हैं.’

* हाईकोर्ट से भी निराश हुए केजरीवाल

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘आप’ विधायकों को राहत देने के लिये कोई भी अंतरिम आदेश देने से मना कर दिया. चुनाव आयोग ने कथित तौर पर लाभ का पद रखने के लिये इन विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश राष्ट्रपति को की है. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है. इन विधायकों को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था.

उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से उसे 22 जनवरी तक सूचित करने को कहा कि क्या विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कोई अंतिम पत्र भेजा गया है. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने साफ कर दिया कि वह कोई आदेश देने या नोटिस जारी करने नहीं जा रही हैं और चुनाव आयोग से उनके द्वारा पूछे गए सवालों पर स्पष्टीकरण देने को कहा.

हालांकि, संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने चुनाव आयोग के समक्ष विधायकों के आचरण पर सवाल उठाया और कहा कि वे इस तथ्य की आड़ लेते हुए चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित हुए कि उनकी याचिकाएं उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं. इन विधायकों ने आवेदन उस लंबित याचिका में दायर किया, जिसमें आप विधायकों ने उनके खिलाफ याचिका का परीक्षण करने के चुनाव आयोग के रुख को चुनौती दी थी. चुनाव आयोग द्वारा उन्हें अयोग्य ठहराने की सिफारिश करने के कुछ ही घंटे बाद प्रभावित विधायकों ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया.

उन्होंने न्यायमूर्ति पल्ली के समक्ष सुनवाई के लिये मामले को सूचीबद्ध कर दिया। इससे पहले दिन में चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों के कथित तौर पर लाभ का पद रखने को लेकर अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं.

आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये राजौरी गार्डन के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.

जिन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना है उसमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.

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