भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच लंबे समय से चली आ रही तल्खी को मंगलवार को मुकाम मिल ही गया. शिवसेना ने एनडीए गठबंधन से अलग होने का ऐलान करतेहुए कहा है कि वह 2019 का चुनाव अकेले लड़ेगी.
पार्टी ने यह ऐलान किया है कि वह राज्य से लेकर केंद्र स्तर की राजनीति में अकेले हीसंघर्ष करेगी. गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के अलावा बीएमसी में भी दोनों पार्टियाें का गठबंधन है.
शिवसेना ने यह फैसला अपनी कार्यकारिणी की बैठक में लिया है. लंबे समयसे दोनों पार्टियों के बीच रिश्तों में काफी तल्खी चली आ रही थी, जिसे देखते हुएइस फैसलेसे हैरत नहीं होनी चाहिए.
शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे से लेकर कार्यकर्ता तक, केंद्र की मोदी सरकारऔर राज्य की देवेंद्र फडणवीस सरकार की आलोचनाकरतेरहे हैं. नोटबंदीऔर जीएसटी सहित केंद्र सरकार की नीतियों और फैसलों पर शिवसेना भाजपा सरकार पर हमलावर रही. यहां तक कि बीएमसी के चुनाव भी इसी तल्खी के बीच लड़े गये.
भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस चुनाव मेंभाजपा ने शिवसेना को कड़ी टक्कर दी.बाद में शिवसेना भाजपा के ही सहयोग से नगर निगम की सत्ता पर काबिज हुई.
बताते चलें कि एनडीए में भाजपा की पुरानी सहयोगियों में शामिल रही शिवसेना ने भाजपा के खिलाफ तभी से बागी तेवर अपना लिये थे, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आयी थी. लेकिन शिवसेना की हर तल्खटिप्पणी के जवाब में भाजपा ने नपी-तुली प्रतिक्रिया दी. इस गठबंधन में हर बार शिवसेना भाजपा के साथ असहज नजर आयी.
यहां यह जानना गौरतलब है कि शिवसेना ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने का यह फैसला ऐसे समय में लिया है, जब पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे और युवा नेता आदित्य ठाकरे को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है. ऐसे में यह माना जा रहा है कियह नयी चुनौतियों के साथ शिवसेना की विरासत अगली पीढ़ी को सौंपने की तैयारी है.
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