उन्होंने पत्र में लिखा है कि सत्ता मिलने के साथ आपने हमसे और मूल विचारधारा से ही दूरी बना ली है लेकिन फिर भी हमारे दिल में आज भी वही संवाद की उम्मीद स्थापित है. इसलिए यह पत्र लिख रहा हूं. पत्र में आगे उन्होंने लिखा है कि वह अयोध्या में राम मंदिर, गोवंश हत्या बंदी का राष्ट्रीय कानून, समान नागरिक संहिता, जम्मू कश्मीर में धारा 370 और धारा 35ए हटाने सहित करोड़ों किसानों और मजदूरों के विषय पर चर्चा करने की इच्छा रखते हैं.
पत्र में लिखा है कि बहुत वक्त से हम दोनों का दिल से संवाद नहीं हुआ, जो 1972 से 2005 तक होता आ रहा था. समय-समय पर देश के, गुजरात के और आपके भी जीवन में जो सवाल खड़े हुए, उनपर हम दोनों ने साथ रहकर बहुत काम किया. हमारे घर, ऑफिस में आपका आना, साथ में भोजन, चाय ठहाके लगाकर हंसना… मुझे विश्वास है आपको सारी बातें याद होंगी. पत्र के माध्यम से तोगडिया ने तंज भी कसा है. उन्होंने लिखा है, ‘विकास के लिए हिंदुओं को अपमानित करने की आवश्यकता नहीं होती. दोनों साथ साथ चल सकते हैं, लेकिन बातचीत होते रहनी चाहिए.
तोगड़िया ने आगे पत्र में लिखा कि गौरक्षकों को गुंडा कहना, देवालय के पहले शौचालय जैसे तुलनात्मक बयान, कश्मीर में सेना पर हत्या के मुकदमे और जिहादी पत्थरबाजों पर मुकदमे वापस लेना, सीमा पर जवान और खेत में किसान की मौत, अचानक बदली आर्थिक नीतियों से हजारों बेरोजगार होना, यह कोई विकास नहीं है. उन्होंने लिखा है कि देशभर में इसकी प्रतिक्रिया हो रही है और लोगों की आवाज को सरकार दबाने का काम कर रही है. पत्र के अनुसार, 3 साल से ज्यादा जनता ने राह देखी अब उनका धैर्य जवाब दे चुका है.
उन्होंने लिखा है कि बड़े-बड़े विज्ञापनों से, विदेशी एजेंसियों के विज्ञापन से और उत्सवों से, अब व्यक्तिगत इमेज बन सकती है, लेकिन देश और जनता तंग आ चुकी है.