आजाद भारत में क्रांति के पर्याय माने जाने वाले भगत सिंह मात्र 23 साल की उम्र में शहीद हो गये. उनके लिखे पत्रों से उनके विद्रोही विचारों की झलक मिलती है. भगत सिंह के घर में क्रांतिकारी माहौल था. दादा आर्य समाज से जुड़े थे तो पिता और चाचा गदर पार्टी से. ऐसे परिवार में पल रहे बच्चे के मन में बचपन से ही अंग्रेजों के प्रति बगावत की भावना पनप रही थी. जब जालियांवाला कांड हुआ, तब उनकी उम्र 12 साल की थी. मन में आजादी की इतनी प्रबल भावना थी कि उन्होंने शादी से इनकार कर दिया. भगत सिंह ईश्वर पर आस्था नहीं रखते थे. जब उनके नास्तिकता को लेकर सवाल खड़े किये गये, तो उन्होंने इसका जवाब एक पत्र के जरिये दिया. इस पत्र के कुछ चुनिंदा अंश
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