जस्टिस जोसेफ पर गरमायी राजनीति, कांग्रेस का आरोप सरकार अदालतों में ‘अपने लोग”” भरना चाहती है

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम की सिफारिश को केंद्र द्वारा लौटाये जाने के बाद इस मामले में राजनीतिक विवाद बढ़ गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने कहा है कि यह केंद्र का अधिकार है और इसमें कुछ भी गलत नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2018 5:36 PM
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नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम की सिफारिश को केंद्र द्वारा लौटाये जाने के बाद इस मामले में राजनीतिक विवाद बढ़ गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने कहा है कि यह केंद्र का अधिकार है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है. वहीं, इस मामले में कानून के विशेषज्ञों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने आज कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता ‘खतरे में है ‘ और क्या न्यायपालिका यह बोलेगी कि ‘अब बहुत हो चुका?’

कानूनमंत्री रविशंकर प्रसाद ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को पदोन्नति देकर उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाने संबंधी शीर्ष अदालत की कोलेजियम की सिफारिश आज पुन : विचार के लिए वापस लौटा दी.इस संबंध में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्राको एक पत्र लिखा.यहधारणा बनी है कि इस घटनाक्रम से न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तनाव और बढ़ सकता है.

इस मामले में कांग्रेस की यह तीखी प्रतिक्रिया उस वक्त आयी है जब सरकार ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ को उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त करने संबंधी कोलेजियम की अनुशंसा को स्वीकार नहीं किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ भारतीय न्यायपालिका खतरे में है. अगर हमारी न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए एकजुट नहीं होती तो लोकतंत्र खतरे में है. वे ( सरकार ) उच्च न्यायालयों को अपने लोगों से भरना चाहते हैं. ‘

इससे पहले इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘ बदले की राजनीति ‘ करने का आरोप लगाया. उन्होंने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से न्यायमूर्ति जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गयी? गौरतलब है कि मार्च , 2016 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था. कुछ दिनों बाद ही न्यायमूर्ति जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था.


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सरकार न्यायपालिका में दखल दे रही है : शरद यादव

वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कोलेजिम द्वारा संस्तुत न्यायमूर्ति केएम जोसेफ़ के नाम पर केंद्र सरकार की ओर से मंजूरी नहीं दिये जाने को न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप बताया है. यादव ने आज संवाददाताओंसेकहा कि केंद्र सरकार के रवैये से संवैधानिक संस्थाएं खतरे में हैं और न्यायमूर्ति जोसेफ के मामले में उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को बैठक कर इस स्थिति पर विचार करना चाहिए.

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