अब सहयोगी दलों को साधने में जुटी भाजपा, कल उद्धव से शाह की मुलाकात

नयी दिल्ली : 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों को साधने में जुट गयी है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीती बाजी हारने व साझा विपक्ष के कारण उपचुनाव के खराब परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को अपने सहयोगी दलों के प्रति अब अधिक संवेदनशील बना दिया है. इसी क्रम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 5, 2018 9:53 AM
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नयी दिल्ली : 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों को साधने में जुट गयी है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीती बाजी हारने व साझा विपक्ष के कारण उपचुनाव के खराब परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को अपने सहयोगी दलों के प्रति अब अधिक संवेदनशील बना दिया है. इसी क्रम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कल मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने वाले हैं. उधर, मौके की नजाकत को भांपते हुए एनडीए के दूसरे पार्टनर ने भी लोकसभा चुनाव के लिए अधिक सीटों के लिए भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है.

बिहार में भाजपा व जदयू के बीच अगले चुनाव के मद्देनरज बड़ा भाई बनने को लेकर बयानबाजी चल रही है. एनडीए की एक बड़ी सहयोगी तेलगुदेशम पार्टी पहले ही अपनी नाराजगी जताते हुए गंठबंधन से बाहर चली गयी है, ऐसे में अब दूसरे बड़े सहयोगी शिवसेना को हर हाल में एनडीए में बनाये रखने में भाजपा जुट गयी है.

शिवसेना बड़ी क्षेत्रीय पार्टी है, जिसके पास 18 लोकसभा सांसद हैं और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में उसकी मजबूत मौजूदगी है. शिवसेना पूर्व में जरूरत पड़ने पर अकेले दम पर चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है, विधानसभा चुनाव में वह ऐसा कर भी चुकी है. अगर लोकसभा चुनाव में भी वह ऐसा करती है, तो इससे महाराष्ट्र में भाजपा की संभावनाओं को नुकसान हो सकता है. ध्यान रहे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार साझा विपक्ष की पैरोकारी कर रहे हैं और ऐसा होता भी दिख रहा है. वे शिवसेना को भी साथ अाने की अपील कर रहे हैं.

महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठजोड़ को अगर यूपी में सक्रिय समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी व बिहार में सक्रिय राष्ट्रीय जनता दल का समर्थन मिलता है, तो इससे भी चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं. बसपा का हर राज्य में दलितों के बीच थोड़ा-बहुत प्रभाव है. वहीं, पूर्वांचली वोटों की मौजूदगी के मद्देनजर सपा व राजद की अपील काम कर सकती है. इस संदर्भ में हाल के कर्नाटक चुनाव का जिक्र करना भी मौजूं होगा.

कर्नाटक में तेलगुदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने तेलगू वोटों से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील की थी. कर्नाटक में 30 से 35 सीटों पर तेलगू वोटरों का असर है. बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा को तेलगू बहुल इलाकों में अनुपातिक रूप से कम सफलता मिली थी.

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