आदिवासियों से बोले केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव- विजय माल्या जैसे बनो स्मार्ट और…

हैदराबाद : केंद्र सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल उरांव ने एक बेतूका बयान दिया है. उन्होंने आदिवासियों को प्रेरित करने के लिए देश के भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या से प्रेरित होने की सलाह दे डाली है. शुक्रवार को जुएल उरांव एक कार्यक्रम में आदिवासियों को संबोधित करते हुए उन्हें उद्यमिता के प्रति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 14, 2018 8:06 AM
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हैदराबाद : केंद्र सरकार में जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल उरांव ने एक बेतूका बयान दिया है. उन्होंने आदिवासियों को प्रेरित करने के लिए देश के भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या से प्रेरित होने की सलाह दे डाली है. शुक्रवार को जुएल उरांव एक कार्यक्रम में आदिवासियों को संबोधित करते हुए उन्हें उद्यमिता के प्रति प्रोत्साहित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने जनजातीय लोगों से कहा कि सिर्फ हार्ड वर्कर बनने से काम नहीं चलेगा. आपको स्मार्ट वर्कर बनना पड़ेगा.

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अपने संबोधन के दौरान मंत्री जी ने लोगों के प्रेरित करने के लिए भारतीय बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या का उदाहरण उनके सामने रखा. उरांव ने कहा कि विजय माल्या ने गलत कामों में फंसने से पहले अपने बिजनेस को बहुत आगे बढा लिया था. उसकी उस सफलता से प्रेरित होने की जरूरत हमें है.

जुएल उरांव हैदराबाद में आयोजित पहली ‘राष्ट्रीय जनजातीय उद्यमी सम्मेलन’ में अपने विचार रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आप विजय माल्या को गाली देते हैं, लेकिन कौन है विजय माल्या? वह एक कुशल (स्मार्ट) शख्‍स है. उसने कुछ बुद्धिमान लोगों को काम पर रखा और फिर बैंकों, राजनीतिज्ञों, सरकार… को प्रभावित किया. ऐसा करने (स्मार्ट बनने से) से आपको कौन रोकता है? आदिवासियों से किसने कहा है कि सिस्टम पर अपना प्रभाव मत दिखाओ. आपको किसने रोका है कि आप बैंकों को प्रभावित मत करो.

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इस कार्यक्रम में तेलंगाना के वित्त मंत्री इटाला राजेंद्र भी उपस्थित थे. इस मौके पर इटाला ने कहा कि बैंक भी आदिवासियों के साथ भेदभाव करते हैं. आदिवासियों को ऋण देने में उन्हें परेशानी होती है. बैंकों को अपनी नीतियों में सुधार करना चाहिए. उन्होंने भी माल्या का उदाहरण देते हुए कहा कि बैंक माल्या जैसे कारोबारी को हजारों करोड़ का ऋण देते हुए कुछ नहीं सोचते, लेकिन ईमानदार आदिवासी को वह 1 करोड़ का ऋण देने में भी हिचकिचाते हैं.

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