नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को तमिलनाडु के राज्यपाल से कहा कि वह वर्ष 1991 में हुए राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी ठहराये गये एजी पेरारीवलन की दया याचिका पर विचार करें.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की एक पीठ ने अभियुक्तों की रिहाई के संबंध में एक प्रस्ताव से जुड़ी केंद्र की याचिका को निस्तारित किया. यह याचिका तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर की गयी थी. केंद्र ने 10 अगस्त को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि वह राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सात दोषियों को बरी करने के प्रस्ताव से सहमत नहीं है. केंद्र ने कहा कि उनकी सजा में कटौती से ‘खतरनाक नजीर’ बनेगी और उसका ‘अंतरराष्ट्रीय असर’ होगा. पेरारीवलन ऊर्फ अरीवू (47) ने 20 अगस्त को उच्चतम न्यायालय को बताया था कि तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष उसके द्वारा दायर दया याचिका पर दो साल से ज्यादा वक्त हो जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ है. उस पर नौ वोल्ट की बैटरी की आपूर्ति का आरोप था जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर उस बेल्ट बम को बनाने के लिए किया गया था जिससे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और 14 अन्य की हत्या हुई थी.
तमिलनाडु के श्रीपेरूंबुदूर में 21 मई 1991 को एक चुनावी रैली में आत्मघाती महिला हमलावर ने धमाका कर राजीव गांधी की हत्या कर दी थी. इस हमलावर की पहचान धनु के रूप में की गयी थी. इस धमाके में धनु समेत 14 लोग मारे गये थे. यह आत्मघाती बम धमाके का संभवत: पहला मामला था जिसमें एक हाईप्रोफाइल वैश्विक नेता की जान गयी. इस मामले में सात अन्य लोगों के साथ दोषी करार दिये गये पेरारीवलन ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत दया याचिका दायर कर राज्यपाल से रियायत या माफी की मांग की थी.
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