नयी दिल्ली: एक वैश्विक अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 1990 से 2016 के बीच इस्चीमिक हृदय रोग (IHD) और मस्तिष्काघात (स्ट्रोक) का प्रसार 50 प्रतिशत से अधिक हो गया है. इसकी वजह से इनसे होने वाली मौतों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.
बुधवार को प्रकाशित ग्लोबल बर्डन डिजीज स्टडी 1990-2016 में पाया गया है कि भारत में मधुमेह का प्रसार इस अवधि में दोगुना से अधिक हो गया है. आइएचडी के मामले में पंजाब शीर्ष स्थान पर है. इसके बाद तमिलनाडु का स्थान आता है.
मधुमेह के मामले में स्थिति उलट है. कई प्रमुख गैर-संक्रमणीय बीमारियों (एनसीडी) के व्यापक विश्लेषण के मुताबिक, पश्चिम बंगाल मस्तिष्काघात के मामले में शीर्ष स्थान पर है. इसके बाद ओड़िशा का स्थान आता है.
यह अध्ययन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीइएमआर), पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआइ) और हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आइएचएमइ) इंस्टीट्यूट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर किया.
विश्लेषण में कहा गया है कि 1990 से 2016 के बीच भारत में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज की संख्या 2.8 करोड़ से बढ़कर 5.5 करोड़ होगयी है और विकसित राज्यों की तुलना में कम विकसित राज्यों में ऐसे मामलों में मृत्यु दर दोगुनी है.
भारत में कुल स्वास्थ्य हानि में कैंसर का आनुपातिक योगदान 1990 से 2016 के बीच दोगुना हो गया है. कैंसर के मामले में केरल शीर्ष स्थान पर है. उसके बाद असम का स्थान है.
अध्ययन के अनुसार, वायु प्रदूषण से लेकर क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और डिसैबिलिटी ऐडजस्टेड लाइफ इयर्स (डीएएलवाइ) का योगदान भारत में धूम्रपान की तुलना में अधिक पाया गया.
अध्ययन में कहा गया है, ‘भारत में धूम्रपान कम हो रहा है और यहां तक कि घरेलू वायु प्रदूषण भी कम हो रहा है, लेकिन भारत के ज्यादातर हिस्सों में परिवेशी (बाहरी) वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.’
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