नयी दिल्ली : एक बार में तीन तलाक देने को दंडनीय अपराध बनाने संबंधी अध्यादेश के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दायर की गयी. मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 19 सितंबर को अधिसूचित किया गया था. इससे पहले, इस अध्यादेश को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दी थी.
इसे भी पढ़ें : तीन तलाक विधेयक: पीएम मोदी ने कहा- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा इंसाफ
‘तलाक-ए-बिद्दत’ के नाम से प्रचलित एक बार में तीन तलाक की प्रथा में एक मुस्लिम शौहर एक ही बार में तीन बार तलाक, तलाक कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है. इस महीने जारी अध्यादेश के अंतर्गत तीन तलाक को गैर-कानूनी और शून्य घोषित करते हुए इसे दंडनीय अपराध कहा गया है और ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है.
इस कानून के दुरुपयोग की आशंका को दूर करते हुए सरकार ने इसमें आरोपी के लिये जमानत का प्रावधान करने जैसे कुछ सुरक्षा उपाय भी किये हैं. केरल स्थित मुस्लिम संगठनल समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने का अनुरोध किया है.
याचिका में इस अध्यादेश को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए कहा गया है कि इससे संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के प्रावधानों का हनन होता है. याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 123 में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होने की स्थिति में ही अध्यादेश लागू करने का प्रावधान है और तात्कालिक परिस्थितियों में कोई आपात वजह नहीं होने पर इस प्रावधान को लागू नहीं किया जा सकता.
याचिका में कहा गया है कि 1400 साल की तो बात अलग है, लेकिन शायरा बानो मामले में शीर्ष अदालत का फैसला आने से पहले संविधान लागू होने के 67 सालों में इस प्रथा को खत्म करने का केंद्र सरकार के पास पर्याप्त अवसर था, लेकिन इसके बावजूद उसने शायरा बानो प्रकरण में फैसले का इंतजार किया.
याचिका के अनुसार, शायरा बानो मामले में अनुच्छेद 141 के तहत अदालत की व्यवस्था के बाद तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय बनाने के लिए अध्यादेश जारी करने की कोई तात्कालिक वजह नहीं बची थी. इसलिए अध्यादेश जारी करना अनुच्छेद 123 की भावना के खिलाफ है और यह संविधान के साथ छल है.
याचिका में दावा किया गया है कि अध्यादेश समाज में ध्रुवीकरण और कटुता पैदा करेगा, क्योंकि यह धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग के सदस्यों पर लागू होता है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 22 अगस्त को अपने ऐतिहासिक फैसले में मुस्लिम समुदाय में प्रचलित एक बार में तीन तलाक देने की 1400 साल पुरानी प्रथा को अनेक आधारों पर निरस्त कर दिया था.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी