जम्मू-कश्मीर : निकाय चुनाव का बहिष्कार करने वाली पार्टियों के लिए राज्यपाल ने कही यह बात

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीडीपी को निकाय चुनाव का बहिष्कार नहीं करना चाहिए था. उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35ए और 370 इस चुनाव में गैर मुद्दे थे.... नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीडीपी ने इन दोनों अनुच्छेदों को विधिक चुनौती को लेकर चुनाव नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2018 9:58 AM
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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीडीपी को निकाय चुनाव का बहिष्कार नहीं करना चाहिए था. उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान के अनुच्छेद 35ए और 370 इस चुनाव में गैर मुद्दे थे.

नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीडीपी ने इन दोनों अनुच्छेदों को विधिक चुनौती को लेकर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी. मलिक ने चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होने पर संतोष व्यक्त किया.

उन्होंने शहरी निकाय चुनाव का अंतिम चरण संपन्न होने के तत्काल बाद कहा, ‘यह (प्रतिक्रिया) काफी अच्छी रही.’

उन्होंने कहा, ‘मंगलवार को श्रीनगर में 9578 वोट पड़े. गंदेरबाल में 1000 वोट पड़े. मतदान प्रतिशत हाल के कुछ चुनावों से बेहतर है.’

राज्यपाल ने कहा कि चुनाव की वास्तविक उपलब्धि यह थी कि यह चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हुआ और लोग बिना किसी भय के वोट डालने के लिए आये.

उन्होंने कहा, ‘वास्तविक कारक की अनदेखी की जा रही है. चार चरण वाला चुनाव संपन्न हो गया है और एक पक्षी को भी नुकसान नहीं पहुंचा, यह एक शांतिपूर्ण चुनाव था.’

उन्होंने कहा, ‘कदाचार या आचार संहिता उल्लंघन या सरकार के हस्तक्षेप की कोई शिकायत नहीं थी. राज्य में 79 नगर निकायों के लिए चुनाव आठ अक्तूबर को शुरू हुआ था और यह 16 अक्तूबर को संपन्न हुआ. यह चार चरणों में हुआ.’

उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक दलों को बहिष्कार नहीं करना चाहिए था. उन्हें चुनाव में हिस्सा लेना चाहिए था. (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी या मेरे लिए कोई लाभ नहीं था. उन्हें लोगों को वोट डालने देना चाहिए था.’

उन्होंने कम मतदान के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें हुर्रियत काॅन्फ्रेंस का प्रभाव, नेशनल काॅन्फ्रेंस और पीडीपी का बहिष्कार और बंदूक का भय शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘दो पार्टियों ने बहिष्कार किया, हुर्रियत ने बहिष्कार का आह्वान किया था, आतंकवादी खतरा भी था और गैर मुद्दों को मुद्दा भी बनाया गया जैसे (अनुच्छेद) 35ए और (अनुच्छेद) 370. इन कारणों से मतदान का प्रतिशत कम रहा, लेकिन मैं आपको कह सकता हूं कि रजौरी, पुंछ और उरी जैसे मुस्लिम क्षेत्रों में 70 से 80 प्रतिशत मतदान हुआ.’

यह पूछे जाने पर कि क्या प्रशासन की अगले महीने होने वाले पंचायत चुनाव के मद्देनजर लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में वापस आकर्षित करने की कोई योजना है, मलिक ने कहा कि वह लोगों से एक बार फिर अपील करेंगे कि इन चुनावों में हिस्सा लें, क्योंकि इससे इन पंचायतों के स्थानीय क्षेत्रों में विकास के लिए भारी राशि आ सकती है.

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