दिव्यांग अध्ययन में हुई प्रगति पर JNU के प्रोफेसर ने लिखी किताब

नयी दिल्ली: करीब तीन साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आये जेएनयू के एक प्रोफेसर ने एक किताब लिखी है, जिसमें दिव्यांग अध्ययन पर शिक्षण एवं शोध को बढ़ावा देने में हुई प्रगति की आलोचनात्मक समीक्षा की गयीहै.... उन्होंने कहा कि यूजीसी ने दिव्यांग अध्ययन की उन्नति पर एक आदर्श पाठ्यक्रम विकसित करने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2018 1:59 PM
feature

नयी दिल्ली: करीब तीन साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आये जेएनयू के एक प्रोफेसर ने एक किताब लिखी है, जिसमें दिव्यांग अध्ययन पर शिक्षण एवं शोध को बढ़ावा देने में हुई प्रगति की आलोचनात्मक समीक्षा की गयीहै.

उन्होंने कहा कि यूजीसी ने दिव्यांग अध्ययन की उन्नति पर एक आदर्श पाठ्यक्रम विकसित करने वाली समिति गठित करने को लेकर कोई पहल नहीं की है. दिव्यांग अधिकार कार्यकर्ता गजेंद्र नारायण कर्ण ने ‘करिकुलम डेवलपमेंट ऑन डिसेबिलिटी स्टडीज’ नाम की एक किताब लिखी है.

गजेंद्र पिछले 18 महीने से कैंसर से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि सितंबर 2005 में दिव्यांग अध्ययन को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अकादमिक शिक्षण के तौर पर मान्यता प्रदान की थी.

गजेंद्र ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दिव्यांग अध्ययन पर विशेष विभाग और केंद्र की स्थापना करने तथा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इससे संबंधित राजीव गांधी पीठ की स्थापना के निर्देश दिये थे.

11वीं पंचवर्षीय योजना में भी इससे जुड़ी बात कहीगयीथी. लेकिन इन सबके बावजूद यूजीसी ने दिव्यांग अध्ययन पर आदर्श पाठ्यक्रम विकास समिति गठित करने की दिशा में कोई पहल नहीं की है.

उन्होंने दावा किया कि इस बीच 17 से ज्यादा विश्वविद्यालयों/शैक्षणिक संस्थाओं ने दिव्यांग अध्ययन कार्यक्रम शुरू करने की दिशा में कदम उठाये हैं. लेकिन, आदर्श पाठ्यक्रम के अभाव में यह काम अभी सही तरीके से नहीं किया जा सका है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version