फरेंसिक एक्सपर्ट्स ने यह भी जानकारी दी है कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने मारुति ईको वैन का उपयोग विस्फोटक रखने के लिए किया था. पुलवामा में आतंकी हमले के बाद टीम घटनास्थल पर पहुंची थी और साक्ष्य एकत्रित किये थे. जांच के बाद विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट मामले को लेकर दी और कहा कि यूं तो आरडीएक्स बहुत स्थिर विस्फोटक है. कार बम के तौर पर इस विस्फोटक का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे महीनों पहले भारत लाने का काम आतंकियों ने किया होगा, जिसके बाद इसे हमले वाली जगह से 5-7 किलोमीटर की दूरी पर ले जाया गया होगा और इसे तैयार किया गया होगा.
गौर हो कि पुलवामा हमले के दौरान बारिश होने के कारण कई साक्ष्य मिट चुके हैं और अब फाइनल फरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. एक सीनियर एक्सपर्ट ने हमले को लेकर कहा है कि आतंकियों ने हमले को अंजाम देने के लिए 50-70 किलोग्राम आरडीएक्स का इस्तेमाल था ताकि 100-300 किलोग्राम क्षमतावाली चीज को बुरी तरह से नष्ट हो जाए.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने मंगलवार को हमले को लेकर एक खबर प्रकाशित की है जिसमें उसने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि फाइनल रिपोर्ट आने में कुछ वक्त लग सकता है. लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इसे तैयार करने के लिए एक से ज्यादा प्रशिक्षित बम बनाने वाले भारत पहुंचे थे और इसमें ट्रिगर स्विच, डेटोनेटर और पावर फ्यूज हमले से कुछ वक्त पहले ही लगाया गया था. खुफिया सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना के पास उपलब्ध प्रति ग्राम आरडीएक्स निगरानी में रहता है, लेकिन पाकिस्तान की मिलिट्री आतंकी समूहों को विस्फोटक सप्लाइ करती है यह सर्वविदित है.