तीन दशक में क्षेत्रीय दलों ने 6 बार बनायी अपनी पसंद की सरकार

नयी दिल्ली : चुनाव दर चुनाव के नतीजे बताते हैं कि क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है. पिछले सात लोकसभा चुनाव में वाम दलों समेत क्षेत्रीय दलों के खाते में 160 से 210 सीटें आयीं और छह बार इनके समर्थन के बिना केंद्र में सरकार नहीं बन सकी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 24, 2019 12:46 PM
an image

नयी दिल्ली : चुनाव दर चुनाव के नतीजे बताते हैं कि क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है. पिछले सात लोकसभा चुनाव में वाम दलों समेत क्षेत्रीय दलों के खाते में 160 से 210 सीटें आयीं और छह बार इनके समर्थन के बिना केंद्र में सरकार नहीं बन सकी. साल 1991 के चुनाव में कांग्रेस को 244 सीटें मिली और भाजपा ने 120 सीटें जीतीं.

वहीं, जनता दल को 69 सीट, माकपा को 35 और भाकपा को 14 सीटें मिलीं. इसी तरह जनता पार्टी को 5, अन्नाद्रमुक को 11, शिवसेना को 4, आरएसपी को 5, तेदेपा को 13, झामुमो को 6, बसपा को 3, जनता पार्टी को 5 सीटें प्राप्त हुई थीं. इस चुनाव में भी वामदलों समेत क्षेत्रीय दलों को करीब 170 सीटें मिली थीं.

वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एवं भाजपा से अलग केंद्र में तीसरा मोर्चा बनाने का प्रयोग हुआ था, मगर यह प्रयोग नाकाम रहा. इस वर्ष के चुनाव परिणाम पर गौर करें, तो भाजपा को 161 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 140 सीट मिली. भाजपा के सहयोगी दलों के खाते में 26 सीटें आयी थीं. तीसरे धड़े के तहत राष्ट्रीय मोर्चा को 79 सीटें प्राप्त हुई थीं जबकि वाम मोर्चा को 52 सीटों पर जीत मिली. अन्य क्षेत्रीय दलों एवं निर्दलीयों के खाते में 85 सीटें गयीं थीं.

वर्ष 2014 के आम चुनाव के अपवाद को छोड़ दें, तो बीते करीब तीन दशक में क्षेत्रीय पार्टियों के मजबूत समर्थन के बिना केंद्र में सरकार का गठन नहीं हो पाया. 16वीं लोकसभा का चुनाव अपवाद इसलिए रहा कि तीन दशक बाद किसी एक पार्टी को अकेले बहुमत मिला. पिछले सात लोकसभा चुनाव पर गौर करें, तब तमाम क्षेत्रीय पार्टियों को चुनाव में 160 से लेकर 210 के बीच लोकसभा सीटें मिलीं और केंद्र में सरकार के गठन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.

वर्ष 1998 के चुनाव में भाजपा को 182 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं. माकपा को 32 सीट, सपा को 20, अन्नाद्रमुक को 18, तेदेपा को 12, समता पार्टी को 12, राजद को 17, सपा को 12, भाकपा को 9, अकाली दल को 8, द्रमुक को 6, शिवसेना को 6, जनता दल को 6 सीटें मिलीं. इस बार भी केंद्र में सरकार गठन में क्षेत्रीय दलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 182 सीटें प्राप्त हुईं, जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं. इस चुनाव में तेदेपा को 29, बसपा को 14, सपा को 26, जदयू को 21, शिवसेना को 15 सीट प्राप्त हुई थी. तब द्रमुक को 12, अन्नाद्रमुक को 10, बीजद को 10, पीएमके को 8, राजद को 7, अन्य को 20 सीट प्राप्त हुई थी. इस चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों के खाते में करीब 200 सीटें गयीं थीं.

वर्ष 2004 के आम चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने मिलकर 283 सीटें हासिल कीं. कांग्रेस ने 145 सीटों के साथ क्षेत्रीय दलों को लेकर यूपीए की पहली गठबंधन सरकार बनायी. इस चुनाव में माकपा को 43, तो बसपा को 19 सीटें, सपा को 36 सीटें, राजद को 24 सीटें, द्रमुक को 16 सीटें, राकांपा को 9 सीटें, भाकपा को 10 सीटें मिलीं थीं. इस चुनाव में भाजपा को 138 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में बीजद को 11, जदयू को 8, शिवसेना को 12 सीटें प्राप्त हुई थी. इस चुनाव में भी क्षेत्रीय दलों के खाते में करीब 200 सीटें आयीं थीं.

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा दोनों को मिलाकर इनके खाते में 322 सीटें आयीं थीं. कांग्रेस ने 206 सीटें जीतकर दूसरी बार यूपीए की सरकार बनायी, जिसमें क्षेत्रीय पार्टियों की अहम भूमिका थी. मुख्य विपक्षी पार्टी रही भाजपा को 116 सीटें मिलीं. तब माकपा को 16 और बसपा को 21 सीटें मिलीं.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version