नयी दिल्ली : आज से शुरू हुए संसद के बजट सत्र में सोनिया गांधी ने लोकसभा में नेता विपक्ष के पद की मांग की. उन्होंने कहा कि हमें औपचारिक रूप से नेता विपक्ष का पद मिलना चाहिए.
सोनिया गांधी ने कहा कि हमें अगर नेता विपक्ष का पद नहीं मिला, तो फिर देखा जायेगा. सोनिया गांधी ने कहा कि चुनाव से पहले हमारा गंठबंधन सबसे बड़ा था. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि अगर सत्ता पक्ष यह चाहता है कि उसे विपक्ष का रचनात्मक सहयोग मिले, तो उसे संकीर्ण विचारधारा से आगे निकलकर नेता विपक्ष का पद देना चाहिए.
गौरतलब है कि 16वीं लोकसभा के चुनाव में किसी भी विपक्षी पार्टी को सांसदों की कुल संख्या का दस प्रतिशत प्राप्त नहीं है. कांग्रेस को भी इस चुनाव में जरूरी नंबर नहीं मिले हैं, उसके मात्र 44 सांसद ही चुनकर आये हैं. जिसके कारण अब यह सत्ता पक्ष के मन पर निर्भर है कि वह किसी भी पार्टी को नेता विपक्ष का दर्जा देता है या नहीं.
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि संविधान के दो अधिनियमों में यह वर्णित है कि कुल सदस्यों का दस प्रतिशत ( 55सीट) होने पर ही किसी पार्टी को विपक्ष का दर्जा मिल सकता है. 1984 में जब राजीव गांधी को प्रचंड बहुमत मिला था, उस वक्त किसी भी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा नहीं मिला था.
गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर कांग्रेस ने कोर्ट में जाने का मन बना लिया है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अगर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सोनिया गांधी की मांग को ठुकरा देती हैं, तो कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा सकती है.
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