-सूरज ठाकुर-
नयी दिल्ली: प्रियंका शर्मा, ऋचा पटेल, सैफू, प्रशांत कन्नौजिया या फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र वसीम हिलाल का नाम तो आपने सुना ही होगा. सवाल यह है कि इनका जिक्र क्यों किया जा रहा है? बता दें कि ये सारे लोग कभी न कभी सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने या कोई आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने के मामले में बुरे फंसे हैं. ऐसा कि इनकी पूरी जिंदगी और करियर दांव पर लग गयी. ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर हमें क्यों इनके बारे में जानना चाहिए?
तकनीकी का बोलबाला है और इस समय को संचार क्रांति का युग कहा जाता है. फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का नशा युवाओंं के सिर चढ़कर बोल रहा है. लोग यहां दोस्त बनाते हैं, बातें करते हैं, और अपनी फोटो, दिनचर्या और विचार शेयर करते हैं. इस समय बाकी दुनिया से जुड़े रहने का ये सबसे अच्छा साधन माना जाना लगा है. हम इसे आम बोलचाल की भाषा में तकनीक की मदद से बनी चौपाल कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. हाल के दिनों में इससे संबंधित एक विडंबना रही है. सोशल मीडिया आपसी संपर्क की बजाय नित्य नये विवाद पैदा करने का साधन ज्यादा बनता जा रहा है. कैसे आइए जानते हैं….
तथ्यहीन जानकारियों की पहचान बेहद जरुरी
हम सभी छात्र अथवा नागरिक होने के नाते ये भारतीय संविधान में उल्लिखित अभिव्यक्ति की आजादी के विषय में जानते हैं. लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ एक अपवाद जुड़ा है जिसके तहत आपके विचार किसी की निजी, धार्मिक, सामुदायिक, सामाजिक अथवा सांस्कृतिक भावना को ठेस पहुंचाए बिना होना चाहिए. यही कारण है कि यदा-कदा विवाद की स्थिति बन जाती है. सोशल मी़डिया प्लेटफॉर्म्स की गाइडलाइन के मुताबिक यहां डाले अथवा शेयर की जाने वाली अधिकांश जानकारियां तथ्यहीन होती है. कोई ग्रुप अथवा व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ को साधने के लिए ऐसी जानकारियां प्रसारित करते हैं.
हम सोशल मीडिया में हैं और इतना ज्यादा समय बिताते हैं कि समझ ही नहीं पाते कि सही क्या है और गलत. इसका नतीजा ये होता है कि बिना सोचे-समझे हम इस शेयर करते हैं या फिर फॉरवर्ड करते हैं. हम कभी-कभी ऐसी तथ्यहीन जानकारियों पर नाराज या पैनिक होकर घृणापूर्ण टिप्पणियां भी कर जाते हैं. सोशल मी़डिया एक वृहद दुनिया है और हम नहीं जानते कि विविधता से भरी हुई कितनी बड़ी जनसंख्या हमारी गतिविधियों को देख या सुन रही है. तो जाहिर है कि ऐसी स्थिति में हमारी प्रतिक्रिया, विचार, तस्वीर या फिर कुछ और बातें किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है. खासकर वो जो तथ्यहीन हो. हमने संक्षिप्त उल्लेख किया था कुछ नामों का, आइए इन मामलों को थोड़ा जान लेते हैं.
आपत्तिजनक पोस्ट करने के कुछ चर्चित मामले
- 18 साल की ऋचा पटेल रांची की रहने वाली है और कॉलेज में पढ़ाई करती हैं. उन्होंने एक विशेष समुदाय को निशाना बनाते हुये एक पोस्ट शेयर किया. संबंधित समुदाय ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की आशंका में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. क्या आप सोच सकते हैं कि इस घटना से छोटी सी उम्र में उनका करियर, जिंदगी, परिवार सबकुछ दांव पर लग गया था. गनीमत रही कि उन्हें जमानत मिल गयी.
- अभी कुछ महीन पहले पश्चिम बंगाल में भाजपा युवा मोर्चा की युवा नेता प्रियंका शर्मा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक मीम शेयर किया था. उन्होंने ममता की एक तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. तृणमूल कांग्रेस के विधायक की शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. ये मामला काफी विवादों में रहा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन हम सभी जानते हैं कि मजाक के चक्कर में उनका करियर, और निजी जिंदगी कितनी मुश्किल में आ गयी थी. इसमें उन्हे दी गई धमकियों का समर्थन नहीं है बल्कि हमारा आशय सोशल मीडिया के अर्थपूर्ण उपयोग से जुड़ा है.
- मुंबई से एक ऐसा ही मामला सामने आया जहां झारखंड में कथित मोब लिंचिंग से जुड़े मामले पर आपत्तिजनक वीडियो टिक-टॉक पर शेयर करने के मामले में पुलिस ने सैफू नाम के युवक और उसके चार साथियों को हिरासत में ले लिया था. इन पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास करने का आरोप था. इन युवकों की उम्र महज 17 से 19 वर्ष की थी. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इनकी बाकी जिंदगी और करियर के लिये कितना मुश्किल होगा. पुलिस रिकॉर्ड में आने से छवि भी खराब हुयी.
- एक और बड़ा मामला अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र वसीम हिलाल से जुड़ा है जो पुलवामा आंतकी हमले के समय सामने आया था. इस छात्र ने पुलवामा के शहीदों से जुड़ा एक आपत्तिजनक पोस्ट शेयर किया जिसकी वजह से इसे निष्कासित किया गया और इसके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया था.
सही जानकारी और संपर्क को बनायें साधन
जाहिर है कि सोशल मीडिया संचार का आसान और वृहद साधन होने के साथ एक संवेदनशील प्लेटफॉर्म भी है. युवकों, खासकर पढ़ाई करके करियर बनाने का सपना देख रहे छात्रों को सतर्क रहने की जरूरत है. युवा तथ्यों की जांच-पड़ताल करें, दी गई किसी भी जानकारी पर आंख बंदकर भरोसा न करें और ना ही पैनिक हों, हमेशा ध्यान रखें कि हमारी प्रतिक्रिया किसी की भावनाओं को न तो ठेस पहुंचाती हो और न की कानून का उल्लंघन करती हो. हम सोशल मीडिया को संपर्क, सही जानकारी, और स्वस्थ विचारों के आदान-प्रदान का जरिया बनाएं ना कि नफरत का.
Agni Prime Missile : पहली बार रेल लॉन्चर से परीक्षण, मिसाइल भेद सकती है 2,000 किलोमीटर तक के टारगेट को
Watch Video: पानी में डूबे घर, टूटी सड़कें, उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही का नया वीडियो आया सामने
Uttarkashi Cloudburst: उत्तराखंड में कुदरत का कहर, अब तक 4 की मौत, सीएम धामी ने नुकसान का लिया जायजा
Heavy Rain Warning: अगले 3 से 4 घंटों के दौरान हिमाचल में भयंकर बारिश की संभावना, IMD अलर्ट जारी