कर्नाटक में सियासी तूफान थमने के बाद लग सकता है राष्ट्रपति शासन, ये रहे कारण

बेंगलुरू/ नयी दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा में विश्वासमत हारने के बाद मंगलवार को कांग्रेस-जद (एस) की 14 माह पुरानी सरकार गिर गई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया. ऐसा लगा कि भाजपा जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश करेगी मगर ऐसा हुआ नहीं. प्रदेश भाजपा को राज्य में वैकल्पिक सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2019 12:49 PM
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बेंगलुरू/ नयी दिल्लीः कर्नाटक विधानसभा में विश्वासमत हारने के बाद मंगलवार को कांग्रेस-जद (एस) की 14 माह पुरानी सरकार गिर गई थी. इसके बाद मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया. ऐसा लगा कि भाजपा जल्द ही सरकार बनाने का दावा पेश करेगी मगर ऐसा हुआ नहीं. प्रदेश भाजपा को राज्य में वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की हरी झंडी का इंतजार है.

दो दिन गुजर जाने के बाद भी भाजपा ने अभी सरकार बनाने के लिए कोई दावा पेश नहीं किया है. कर्नाटक बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा बुधवार को ही राज्यपाल वजूभाई वाला से मिलने वाले थे और सरकार बनाने के दावा पेश करने वाले थे लेकिन अचानक ही येदियुरप्पा के कार्यक्रम में बदलाव कर दिया गया.

गुरुवार को कर्नाटक भाजपा के नेता जगदीश शेट्टिगर, बसवराज बौम्मई और अरविंद लिंबावाली भाजपा राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे. शाह से मुलाकात के बाद भाजपा नेता जे.शेट्टर ने कहा कि राज्य में सरकार बनाने के हालात पर अमित शाह और जेपी नड्डा से विस्तृत चर्चा हुई. वो चाहते हैं कि इस पर एक बार फिर से चर्चा हो. आज शाम बैठक के बाद कोई फाइनल फैसला हो जाएगा. भाजपा की ओर से हो रही देरी पर अब कयास लगने शुरू हो गए हैं.

कहा जा रहा है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लग सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्यपाल के सामने राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सिर्फ राजनीतिक संकट हीं एक वजह नहीं है. विधानसभा को 31 जुलाई से पहले फाइनेंस बिल भी पास करना है वरना राज्य अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकेगी, पैसे निकाल नहीं सकेगी और न पेमेंट कर सकेगी.

इस तरह के हालात पहले किसी भी राज्य में नहीं हुए हैं. ऐसे में चीफ सेक्रटरी टीएम विजय भास्कर और अडिशनल चीफ सेक्रटरी (फाइनेंस) आईएसएन प्रसाद दूसरे उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर समाधान निकालने में जुटे हैं. सूत्रों के मुताबिक विधानसभा को सस्पेंड रखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. इस दौरान राज्यपाल पैसे के खर्च पर फैसले कर सकेंगे. हालांकि, इसकी मंजूरी संसद से लेनी होगी.

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