नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से सटे भारतीय सीमा पर अब दुश्मनों की खैर नहीं है. अदम्य साहस के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए अब वह पूरी तरह से तैयार हो गयी है. पड़ोसी देश के साथ चल रही तनातनी के बीच भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सीमा पर इंटीग्रेटेड बैटन ग्रुप (आईबीजी) या फिर वॉर ग्रुप को तैनात करने की योजना बनायी है, जिसकी मंजूरी रक्षा मंत्रालय की ओर से मिल गयी है.
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संभावना यह जाहिर की जा रही है कि इस साल के अंत तक भारत के पश्चिमी और पूर्वी सीमा पर सेना की ओर से इस ग्रुप की तैनाती कर दी जायेगी. थल सेनाध्यक्ष बिपिन रावत ने बताया कि साल के अंत तक करीब 3,323 किलोमीटर लंबी भारत-पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना की ओर से अपने पहले आईबीजी को तैनात किया जायेगा.
वहीं, मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, रक्षा मंत्रायल ने 11वीं वाहिनी के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है, जो हिमाचल प्रदेश के योल में स्थित है. मंत्रालय के अनुसार, योल स्थित सेना की 11वी वाहिनी से आईबीजी का गठन कर उसे पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जायेगा. गौरतलब है कि वर्ष 2009 में गठित सेना की 11वीं वाहिनी उसकी सबसे युवा टुकड़ियों में से एक है और यह हरियाणा के चंडीमंदिर स्थित सेना के पश्चिमी कमान का अभिन्न अंग भी है.
पाकिस्तान की नापाक हरकतों और चीन की धमकियों के बीच भारतीय सेना ने खुद को बेहतर बनाने के लिए इसका गठन किया है. इसमें युद्ध की स्थिति में नयी योजना पर काम किया जा सकता है, जिसे इंटिग्रेटिड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी) नाम दिया गया है. यह सेना का सबसे बड़ा पुनर्गठन है और जनरल रावत इसके प्रमुख प्रस्तावक हैं. आईबीजी का लक्ष्य सेना के विभिन्न प्रभागों को एक नये समूह में शमिल करना है. इसमें तोप, टैंक, वायु रक्षा एवं साजो-सामान शामिल होंगे. इसे जंग के लिए पूरी तरह से तैयार इकाई बनाने की संभावना है.
भारतीय सेना की योजना के अनुसासर, आईबीजी लड़ाई के पारंपरिक तरीकों से इतर काम करेगा. बताया जा रहा है कि हर ग्रुप में कम से कम तीन ब्रिगेड शामिल होंगे. आईबीजी औसतन छोटा होगा और लड़ाई के लिए आवश्यक सभी हथियार और सैनिकों से लैस होगा. इसके पास वायु शक्ति, तोपखाने आदि भी होंगे. जहां पर इसकी तैनाती की जायेगी, उस गुप के पास के हर ब्रिगेड में 6 से 8 बटालियन होगी.
सेना के एक अधिकारी के अनुसार, आईबीजी में करीब-करीब 20 से 25 हजार जवानों को शामिल करेगा, जबकि प्रत्येक ग्रुप एक स्व-निहित युद्धक इकाई होगी. हालांकि, यह अन्य यूनिट से समर्थन ले सकता है. आईबीजी छोटे और अधिक कारगर होंगे, ताकी वे त्वरित कार्रवाई के लिए हमेशा तैयार रहें. प्रत्येक ग्रुप की कमान प्रमुख जनरल रैंक के एक अधिकारी को सौंपी जायेगी.
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